प्रयागराज: यूपी की योगी सरकार ने प्रयागराज में माघ मेला कराने का फैसला तो कर लिया है, लेकिन मेले में कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं और साधू संतों को इस बार शर्तों के साथ ही इंट्री दी जाएगी. मेले में आने से पहले कल्पवासियों और संतों को अपना कोविड टेस्ट कराना होगा. सिर्फ आरटीपीसीआर टेस्ट ही मान्य होगा. टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट दिखाने पर ही मेले में बनाए गए कैम्पों में रहने की इजाज़त दी जाएगी. तीन दिन से पुरानी कोविड टेस्ट की रिपोर्ट नहीं मानी जाएगी.


जांच रिपोर्ट आने तक किसी भी कैम्प में जाने की इजाज़त नहीं दी जाएगी
अगर कोई कल्पवासी या साधू संत बिना कोविड टेस्ट के आएगा तो मेला क्षेत्र में ही उसकी जांच कराई जाएगी. जांच रिपोर्ट आने तक किसी भी कैम्प में जाने की इजाज़त नहीं दी जाएगी. इसके साथ ही यहां कल्पवास करने वालों का हर थोड़े दिन पर एंटीजेन टेस्ट भी कराया जाएगा. माघ मेले के हर एक सेक्टर में अस्पताल तो बनाए जाएंगे, लेकिन इनमे से किसी भी जगह कोरोना के मरीजों को नहीं रखा जाएगा. उन्हें शहर के अस्पतालों में भेजा जाएगा. यह पहला मौका है, जब मेले में आने वाले कल्पवासियों और संत महात्माओं को शर्तों के साथ इंट्री दी जाएगी. हालांकि कोविड टेस्ट की रिपोर्ट साथ लाने की अनिवार्यता सिर्फ उन्ही श्रद्धालुओं पर लागू होगी, जो यहां पर कल्पवास करेंगे और एक महीने तक तम्बुओं में रहकर संयमित जीवन बिताएंगे.


मेले में न तो प्रदर्शनी लगेगी, न झूले लगेंगे
आस्था के मेले में इस बार कोई ऐसा आयोजन भी नहीं होगा, जिसमें एक साथ कुछ लोगों की भीड़ इकट्ठी होती है. न तो प्रदर्शनी लगेगी, न झूले लगेंगे. न मीना बाजार सजेगा और न ही गैरज़रूरी दुकानें लगेंगी. संत महात्माओं के पंडाल में इस बार न तो कथा हो सकेगी और न ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों के पंडाल सजेंगे. इतना ही नहीं इस बार के मेले में श्रद्धालुओं के लिए अलग एडवाइजरी भी जारी की गई है. कल्पवासियों से अपील की गई है कि वह पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर ही कल्पवास के लिए आएं. अगर किसी तरह की कोई बीमारी या चलने फिरने में दिक्कत है तो घर पर ही संकल्प लेकर संयमित जीवन बिताते हुए कल्पवास के नियमों का पालन किया जा सकता है.


डुबकी लगाकर फ़ौरन वापस चले जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोविड टेस्ट कराने की अनिवार्यता नहीं
प्रयागराज पुलिस के आईजी रेंज कवीन्द्र प्रताप सिंह के मुताबिक़ मेले में इंट्री के लिए कोविड रिपोर्ट ज़रूरी किये जाने के फैसले पर सरकार की भी मुहर लग चुकी है. हालांकि यह शर्त सिर्फ कैम्पों में रुकने वाले श्रद्धालुओं के लिए ही है. प्रमुख स्नान पर्वों और मेले के आम दिनों में सिर्फ आस्था की डुबकी लगाकर फ़ौरन वापस चले जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोविड टेस्ट कराने की अनिवार्यता नहीं है. तीर्थ पुरोहितों की संस्था के अध्यक्ष राजेंद्र पालीवाल के मुताबिक़ सलाहकार समिति की बैठक में भी कल्पवासियों से घर पर रहकर ही अपना संकल्प पूरा करने की अपील की गई है. इसके साथ ही श्रद्धालुओं से यह अपेक्षा की गई है कि अगर वह मेले में आते भी हैं तो कोविड प्रोटोकॉल का पालन ज़रूर करेंगे.


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