अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता से जुड़ा एक सवाल जो सता रहा है यूपी पुलिस और एसटीएफ को?
प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के आरोपियों की तलाश में यूपी पुलिस नेपाल तक खाक छान रही है. लेकिन न तो अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता और न ही उसका बेटे असद का कोई सुराग मिल पाया है.
प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के बाद यूपी पुलिस और स्पेशल टॉस्क फोर्स आरोपियों की तलाश कर रही है. लेकिन इस हत्याकांड की जांच में जो चीजें निकलकर सामने आ रही हैं वो हैरान करने वाली हैं.
अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन से जुड़ा एक सवाल तो ऐसा है जिसमें यूपी पुलिस और प्रशासन को भी जवाब देना पड़ सकता है. उमेशपाल हत्याकांड की साजिश रचने के आरोप में अतीक अहमद के बेटे के साथ-साथ उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन का भी नाम है. शाइस्ता इस समय फरार हैं. उनकी तलाश में पुलिस खाक छान रही है. 25 हजार का ईनाम भी घोषित किया जा चुका है.
इस कांड में शामिल अतीक अहमद के कुछ गुर्गे तो पकड़े गए हैं और एक का तो एनकाउंटर भी किया जा चुका है. लेकिन शाइस्ता और उसका बेटा असद दोनों का कोई सुराग नही है. तलाश में यूपी पुलिस नेपाल तक पहुंच गई है. अतीक अहमद के बेटे असद अहमद पर पांच लाख का ईनाम रखा गया है. इसके साथ ही अरमान, गुलाम, गुड्डू मुस्लिम, साबिर की भी पुलिस को तलाश है. इन सभी पर ईनाम घोषित किया जा चुका है.
इस सवाल का कौन देगा जवाब
उमेश पाल की हत्या के बाद आखिर किसके इशारे पर अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन को छोड़ दिया गया. दरअसल जिस दिन ये कांड हुआ था उसी के कुछ देर बाद ही शाइस्ता परवीन को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था और इस दौरान शाइस्ता से जुड़ी कई बातें पुलिस को पता भी लग चुकी थीं. लेकिन उससे सख्ती से पूछताछ के बजाए छोड़ दिया गया. एक तरह से शाइस्ता को फरार हो जाने के लिए 'आसान रास्ता' दे दिया गया.
शाइस्ता परवीन पर अब तक उमेश पाल हत्याकांड की साजिश रचने के अलावा 4 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं. घटना के 24 दिन बीत जाने के बाद भी शाइस्ता का अभी तक कुछ भी अता-पता नहीं चल पाया है.
प्रयागराज में लोगों का दबी जुबान ये भी कहना है कि अतीक अहमद भले ही गुजरात की जेल में बंद हो लेकिन उसका सिक्का आज भी यहां चलता है तभी तो इतनी बड़ी घटना हो जाने के बाद भी अतीक बेटे असद, उसके गुर्गे और शाइस्ता परवीन आसानी से फरार हो गए. सवाल तो यूपी पुलिस की एलआईयू यानी स्थानीय खुफिया विभाग पर भी उठा है. दिन-दहाड़े हत्या की साजिश रची जा रही थी लेकिन एलआईयू को कानों-कान भनक नहीं लगी.
चूक का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब उमेश पाल की हत्या हुई तो पुलिस ने शाइस्ता परवीन के घर को घेर लिया था. दलबल के साथ पहुंचे आला अधिकारियों ने उससे पूछताछ भी की. इसके बाद उमेश पाल की पत्नी की शिकायत पर उसे इस कांड में नामजद भी किया गया. यही नहीं शाइस्ता परवीन अपने बेटों के साथ उस घर में तीन दिन तक रुकी भी रही.
उस दौरान घटनाक्रम पर नजर डालें तो लगता है शाइस्ता परवीन पर मेहरबानी में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही थी. नामजद होने के बाद वो अपने वकील के जरिए कोर्ट में एप्लीकेशन भी डालती रही. शाइस्ता को इस तरह से मिल रही सहूलियतों के पीछे कौन था, ये सवाल प्रयागराज पुलिस के अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.
शाइस्ता का फोटो तक नहीं था पुलिस के पास
प्रयागराज की स्थानीय मीडिया रिपोर्टों की मानें तो शाइस्ता परवीन का सुराग पाने के लिए जब पोस्टर जारी करने की बात आई तो उसकी एक भी तस्वीर पुलिस के पास नहीं थी. ये बात उस आरोपी से जुड़ी थी जिस पर उमेश पाल की हत्या की साजिश से लेकर शूटरों को मदद और जेलों में सिम मुहैया कराने तक का आरोप है.
फिर से बन रहा है अतीक का गैंगचार्ट
प्रयागराज में खौफ का दूसरा नाम बन चुके अतीक अहमद के गैंग का पूरा चिट्ठा बनाया जा रहा है जिसमें उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन और तीनों बेटों का भी नाम शामिल करने की तैयारी है. इसमें कुछ सफेदपोशों के भी नाम सामने आ सकते हैं जो अतीक की मदद कर रहे थे. अतीक को लेकर पहले हुई पड़तालों में उसके गैंग में 150 से ज्यादा लोगों के शामिल होने की बात सामने आई थी लेकिन अब इसमें से 17 लोगों की मौत हो चुकी है.
क्या सो रहे थे 40 दस्ते?
उमेश पाल की हत्या से पहले अतीक अहमद की गैंग पर नजर रखने के लिए 40 दस्ते बनाए गए थे. हर थाने में 2 लोगों को तैनात किया गया था जिनकी जिम्मेदारी थी कि अतीक के गुर्गों पर नजर रखें, थाने में उनकी हाजिरी होती रहे, साथ ही उनकी जेब में पैसा कहां से आ रहा है इसका भी पता रखें.
उमेश पाल हत्याकांड के बाद से साबित हो गया है कि ये दस्ते या तो 'सो' रहे थे या फिर खानापूर्ति हो रही थी. अतीक के गुर्गों ने साजिश रचकर उमेश पाल की हत्या कर डाली और दस्तों को पता नहीं चल पाया.
शूटरों की गर्लफ्रेंड ढूंढती यूपी पुलिस
उमेश पाल हत्याकांड में शामिल अतीक दो शूटर गुलाम और गुड्डू मुस्लिम की महिला मित्रों को भी एसटीएफ ढूंढ़ रही है. पहले सिर्फ गुलाम की ही गर्लफेंड के बारे में पता चला था लेकिन सुराग मिला है कि 'बमबाज' गुड्डू मुस्लिम की भी कोई गर्लफ्रेंड है. गुलाम की गर्लफ्रेंड तो पुलिस के शिकंजे में आ चुकी है लेकिन अब गु्ड्डू मुस्लिम की प्रेमिका की तलाश की जा रही है.फिलहाल हत्याकांड के बाद से ही वो भी फरार हो चुकी है.
'58 सेंकेंड का दिल दहला देने वाला वीडियो'
उमेश पाल हत्याकांड से जुड़ा 58 सेकेंड का एक वीडियो सामने आया है. जिसमें साफ देखा जा सकता है कि एक शूटर उमेश पाल पर गोलियां बरसा रहा है. गोली लगने के बाद भी वो घर के अंदर भाग कर आते हैं. इसी वीडियो में यूपी पुलिस में तैनात राघवेंद्र भागते हुए दिखाई देते हैं. उन पर पीछे से एक शख्स बम फेंकता है. धमाका होता है और फिर कुछ नहीं दिखाई देता. एक दिन बाद खबर आती है कि घायल सिपाही राघवेंद्र की इलाज के दौरान मौत हो गई है.
'अम्मा वो लोग हमको मार डाले'
गोलियां लगने से घायल उमेशपाल घर के अंदर सोफे में गिर जाते हैं. उनकी मां शांति देवी शरीर पर लगे घावों पर हाथ फेर रही थीं. शांति देवी ने बताया कि उमेश ने उनसे लिपटकर आखिरी बार कहा, 'अम्मा वो लोग हमको मार डाले'. उमेश पाल की पत्नी जया हाथ पकड़ कर चीख रही थीं मेरा साथ छोड़कर न जाना. लेकिन तब तक उमेश की सांसें थम चुकी थीं.
शाइस्ता के साथ एक और महिला बाहुबली
उमेश पाल हत्याकांड में महिला बाहुबली शाइस्ता के साथ ही अब एक और महिला बाहुबली मुंडी पासी की भी तलाश हो रही है. बताया जा रहा है कि मुंडा पासी ने ही शाइस्ता के भागने में मदद की है. जानकारी के मुताबिक मुंडी पासी और शाइस्ता इस घटना के पहले साथ-साथ रहती थीं.
बता दें कि शाइस्ता परवीन को बीएसपी ने महापौर पद का उम्मीदवार बनाया है. इसके बाद से मुंडी पासी को शाइस्ता के आसपास ही देखा जा रहा था. मुंडी पासी को लेडी डॉन के तौर पर देखा जाता है. उसके खिलाफ धूमनगंज थाने में हिस्ट्रीशीट दर्ज है. उसके खिलाफ हत्या, रंगदारी जैसे कई मामले दर्ज हैं.
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक मुंडी पासी के संबंध कुख्यात रहे मूलचंद पासी से भी रहे हैं. इतना ही नहीं मुंबई अंडरवर्ड के डॉन छोटा राजन गिरोह के शूटर बच्चा पासी के भी मुंडी पास करीब रही है.
कमिश्नरेट का असर पड़ा, सुस्त हुई थी कार्रवाई
यूपी पुलिस की ओर से कई शहरों में कमिश्नरेट व्यवस्था लागू की गई है. प्रयागराज में यह सिस्टम लागू होने के बाद अतीक अहमद के खिलाफ चल रही जांचों और कार्रवाई धीमी पड़ गई थी. एक मीडिया रिपोर्ट की मानें तो यूपी पुलिस मुख्यालय से अतीक 500 करोड़ की संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया जा चुका था और अब तक 450 करोड़ की संपत्तियों को जब्त किया जा चुका है.
इसके साथ ही उसके खिलाफ चल रहे कई मामलों की जांच में तेजी भी आ चुकी थी. लेकिन नया सिस्टम लागू होने के बाद ये सारे काम रुक गए थे. इधर कमिश्नरेट का गठन हो रहा था उधर अतीक अहमद गैंग को मौका मिल गया और उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम दे बैठा.
अतीक अहमद कैसे बना खौफ का दूसरा नाम
कई साल पहले प्रयागराज में हाजी फिरोज नाम का एक तांगा चालक था. वो कुछ आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहता था. घर की माली हालत ठीक नहीं थी. उसका एक बेटा था अतीक अहमद. 1983 में अतीक अहमद के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज की गई. उस समय अतीक की उम्र रही होगी 18 साल. धीरे-धीरे अतीक ने एक गैंग बना लिया और जिले की कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन गया. अतीक पुलिस की नजरों में चढ़ चुका था. एक वक्त ऐसा भी आया जब उसके एनकाउंटर की फाइल पर दस्तखत हो चुके थे.
एनकाउंटर का खतरा, खुला राजनीति का दरवाजा
एनकाउंटर से बचने के लिए अतीक अहमद ने 1989 के विधानसभा चुनाव में प्रयागराज की पश्चिम सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भर दिया. इस चुनाव में अतीक ने मुस्लिम कार्ड भी खेला. राजनीति में अतीक की किस्मत साथ दे गई और वह विधायक चुन लिया गया. इसके बाद वह इसी सीट से साल 1991, 1993, 1996 और 2002 में भी जीता. साल 1996 के चुनाव में उसे बीएसपी-सपा गठबंधन का भी समर्थन मिला. साल 2004 के लोकसभा चुनाव में वह सपा के टिकट से फूलपुर कां सांसद चुना गया.