Chandigarh News: पंजाब में चुनावी सियासत से इन किसान यूनियनों ने बनाई दूरी, कहा- किसानों के मुद्दे पहले, राजनीति नहीं
Chandigarh News: पंजाब की कुछ अहम किसान यूनियनों की तरफ से साफ कर दिया गया है कि किसानों के मुद्दे उनके लिए प्राथमिकता हैं, राजनीति नहीं.
Chandigarh News: लंबे संघर्ष के बाद किसान संगठन आखिरकार अपनी मांगे मनवाने में कामयाब रहे. दिल्ली के बॉर्डर्स से किसानों की घर वापसी तो हो चुकी है लेकिन पांच राज्यों में चुनावों के बीच ये सवाल लगातार उठ रहा है कि चुनावों के दौरान किसान संगठनों का राजनीतिक रुख क्या रहेगा. वहीं 22 किसान संगठनों के चुनावों में उतरने के ऐलान के साथ ही ये सवाल औऱ अहम हो गया है. हालांकि इसे लेकर अब पंजाब की कुछ अहम किसान यूनियनों की तरफ से साफ कर दिया गया है कि किसानों के मुद्दे उनके लिए प्राथमिकता हैं, राजनीति नहीं.
किसानों के मुद्दे जरूरी, राजनीति नहीं-बीकेयू(उगराहां)
दरअसल नए कृषि कानूनों के खिलाफ चलाए गए आंदोलनों में शामिल रहे सभी 11 किसान संगठन पंजाब चुनावों के लिए तैयार किए गए मोर्चे से दूरी बनाने की तय कर चुके हैं. इन संगठनों में सबसे बड़े संगठन भारतीय किसान यूनियन(उगराहां) की तरफ से साफ कर दिया गया है कि किसानों के मुद्दों को राजनीति में नहीं उलझने देना चाहते हैं. संगठन के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि किसान संगठनों को किसानों के मुद्दों पर फोकस करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सालभर लंबे आंदोलन के बाद वापस लिए गए कृषि कानूनों ने साफ कर दिया है कि किसानों की लड़ाई संसद या फिर विधानसभा में बैठकर नहीं लड़ी जा सकती. इसके लिए संघर्ष औऱ सड़कों पर प्रदर्शन ही रास्ता था.
11 किसान संगठनों को राजनीति से दूर रहने का ऐलान
जो 11 संगठन इस राजनीतिक मोर्चे से दूरी बनाने का ऐलान कर चुके हैं उनमें से 9 संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा रह चुके हैं. संयुक्त किसान मोर्चा की ही अगुवाई में दिल्ली में किसान आंदोलन की अगुवाई की गई थी. दरअसल 22 संस्थाओं ने मिलकर चुनावों के लिए एक राजनीतिक मोर्चे का गठन किया है. जिसमें भारतीय किसान यूनियन(राजेवाल) भी शामिल है. जोकि संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल रहे बड़े किसान संगठनों में से एक है. गुरुनाम सिंह चढ़ूनी के चुनाव में उतरने के ऐलान के बाद चुनावी मोर्चे में शामिल होने वाला ये दूसरा संगठन रहा है.
अभी सिर्फ आधी जंग जीती- बीकेयू(उगराहां)
वहीं बीकेयू(उगराहां) की तरफ से कहा गया है लड़ाई अभी सिर्फ आधी ही जीती गई है. कर्ज माफी, एमएसपी की गारंटी जैसे मुद्दों पर बात अभी भी नहीं बन सकी है. इसलिए हम ना ही किसी राजनीतिक मोर्चे में शामिल होंगे ना ही किसी दल को राजनीतिक समर्थन देंगे. वहीं उन्होंने कहा कि हमारा समर्थन इस बात पर निर्भर करेगा कि किस पार्टी का आंदोलन को लेकर क्या रुख रहा है. उन्होंने कहा कि जिन 22 दलों ने चुनाव में उतरने का ऐलान किया है वो उनका अपना फैसला है. संयुक्त किसान मोर्चा का इससे कोई लेनादेना नहीं है.
ये भी पढ़ें-
UP Election 2022: आजमगढ़ में बोले सपा नेता अबू आजमी- बीजेपी कर रही है वोट बांटने की बड़ी साजिश