Punjab News: पंजाब में एक बार फिर पराली जलाने के चौंका देने वाले मामले सामने आ रहे है. अकेले सोमवार को 507 खेतों में आग लगाने की सूचना मिली. गुरदासपुर जिले में सबसे ज्यादा 74 मामले देखे गए. इसके अलावा पूरे सीजन की अगर बात करें तो पंजाब में 9 हजार 247 पराली जलाने के मामले देखे गए. वहीं अप्रैल में बारिश की वजह से केवल 654 मामले पूरे महीने में सामने आए. वहीं कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि धान की बुवाई का मौसम कम होने की वजह से खेतों में आग लगने की संभावना बढ़ने वाली है.

  


कितना रहा वायु गुणवत्ता सूचकांक?
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में साल 2020 में 13 हजार 420 तो साल 2021 में 10 हजार 100 और साल 2022 में 14 हजार 511 मामले दर्ज किए गए थे. कृषि अधिकारियों ने कहा कि ज्यादातर किसान गेहूं के भूसे से सूखा चारा बना रहे थे. पराली जलाने के मामलों के बीच पंजाब के अधिकतर हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक सामान्य रहा. बठिंडा जिले की अगर बात करें तो यहां एक्यूआई 129 तो लुधियाना में 125 एक्यूआई, पटियाला का 118 एक्यूआई, खन्ना में 98 एक्यूआई और जालंधर में एक्यूआई 93 रहा. आपको बता दें कि 0 से 50 के बीच AQI को अच्छा, 51 से 100 को संतोषजनक, 101 से 200 को मध्यम, 201 से 300 को खराब, 301 से 400 को बहुत खराब और 401 से 500 को गंभीर माना जाता है.


पराली जलाने की घटनाओं पर जताई थी नाराजगी
बीते तीन-चार दिन पहले ही सीएम भगवंत मान ने पराली जलाने की घटनाओं को लेकर नाराजगी जताई थी. उन्होंने कहा था कि खेतों में जगह-जगह नाड़ में आग लगाई जा रही है. किसान पंजाब का वातावरण ठीक नहीं होने देना चाहते. सीएम ने कहा था कि किसान अगर सरकार का साथ दें तो समस्या का हल निकाला जा सकता है. लेकिन किसान सरकार को ही हराना चाहते है. उन्होंने कहा था कि इस पर्यावरण प्रदूषण से सबसे ज्यादा नुकसान तो किसानों के पारिवारिक सदस्यों को ही होता है. 


यह भी पढ़ें: Chandigarh: 30 मई तक मिल जाएगा फसलों के नुकसान का मुआवजा, कैबिनेट मंत्री ब्रह्म शंकर जिम्पा का बयान