Punjab News: 'पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं 77 फीसदी हुई कम', AAP नेता दिलीप पांडे का दावा
Punjab Air Pollution: आप विधायक (AAP) दिलीप पांडे के मुताबिक पंजाब में प्रदूषण पर काबू पाने के लिए थ्री टायर मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किया गया. आज वहां प्रदूषण के मामले में बदलाव देखने को मिल रहा है.
Stubble Burning In Punjab: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक दिलीप पांडे ने भगवंत मान सरकार को लेकर सोमवार को बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद भगवंत मान सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हर स्तर पर प्रभावी कदम उठाए. पराली से होने वाले प्रदूषण पर भी रोक लगाने में बहुत हद तक आप सरकार सफल रही.
इसके अलावा, भगवंत सरकार ने इस प्रदूषण नियंत्रण रणनीति के तहत एक अलग क्रॉप रेसिड्यू मैनेजमेंट सिस्टम को भी स्थापित किया. दिलीप पांडे ने आगे कहा कि इस सिस्टम को प्रभावी बनाए रखने के लिए पांच सौ करोड़ रुपए से भी ज्यादे का बजट आवंटित किया गया.
पंजाब में प्रदूषण पर काबू पाने के लिए थ्री टायर मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किया गया. पराली की समस्या का संज्ञान लेने के लिए सीटू और एक्स सीटू दोनों तरह के मैनेजमेंट के तरीके अपनाए. इसका नतीजा यह रहा कि पिछले कई सालों के निरंतर प्रयास के बाद पंजाब में बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिल रहा है.
बीजेपी ने नहीं किया सहयोग
आप विधायक दिलीप पांडेय ने दावा किया कि पराली, जो एक बड़ी आपदा-विपदा थी, उसको काफी हद तक पंजाब की सरकार ने एड्रेस करने में सफलता पा ली है. जबकि उत्तर प्रदेश और हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी की सरकारें आरोप-प्रत्यारोप करने में लगी रहीं.
2024 में सिर्फ 1866 मामले आए सामने
दिलीप पांडे ने कहा कि मैं आंकड़े बताता हूं कि पराली के मामले में किस तरह से पंजाब की सरकार ने जमीन से आसमान तक का सफर तय किया है. 2022 के अक्टूबर के इसी सप्ताह के आंकड़े के अनुसार पंजाब में पराली जलाने के 8 हजार मामले रिकॉर्ड किए गए थे. 2024 के इस सप्ताह के डेटा के अनुसार पंजाब में पराली जलाने के 1866 मामले रिकॉर्ड किए गए.
पंजाब सरकार से सीखने की जरूरत
यह आंकड़े केंद्र सरकार के इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएआरआई) के हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी शासित राज्यों को पंजाब सरकार के इन प्रयासों से सभी को सिखने की जरूरत है. दिलीप पांडे ने कहा कि दिल्ली और देश के लोग देख रहे हैं कि जहां बीजेपी की सरकारों का योगदान शून्य है. दिल्ली में बीजेपी के असहयोगी रवैये की वजह से प्रदूषण को नियंत्रित कर पाना संभव नहीं हो सकता है.