Adampur Bypoll Latest Update: सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी ) और विपक्षी दलों ने सोमवार को हरियाणा में आदमपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा का स्वागत किया. बीजेपी के वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि ‘‘हमेशा की तरह आदमपुर की जीत होगी.’’ कांग्रेस विधायक के तौर पर बिश्नोई के इस्तीफे के कारण हिसार जिले में आदमपुर सीट पर उपचुनाव आवश्यक हुआ. निर्वाचन आयोग ने घोषणा की कि हरियाणा में आदमपुर सीट सहित छह राज्यों में फैली सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव तीन नवंबर को होंगे.


पूर्व विधायक बिश्नोई ने ट्वीट किया, ‘‘उपचुनाव की घोषणा का स्वागत है. इंतजार की घड़ियां खत्म हुईं. एक बार फिर से आदमपुर का मुकाबला विरोधियों से होगा और हमेशा की तरह जीत आदमपुर की होगी.’’


कांग्रेस से निष्कासित किए जाने के करीब दो महीने बाद बिश्नोई (54) चार अगस्त को बीजेपी  में शामिल हुए थे. राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के व्हिप का उल्लंघन कर सत्तारूढ़ पार्टी समर्थित उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने के कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.


जून में हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन के पक्ष में मतदान नहीं करने के बिश्नोई के फैसले के कारण माकन बीजेपी  समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा से मामूली अंतर से हार गए थे. निर्वाचन आयोग ने एक बयान में कहा कि तीन नवंबर के उपचुनाव के लिए अधिसूचना सात अक्टूबर को जारी होगी और मतों की गिनती छह नवंबर को होगी.


उपचुनाव की घोषणा का स्वागत करते हुए हरियाणा कांग्रेस प्रमुख उदय भान ने कहा कि आदमपुर हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है. बिश्नोई पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘जिस तरह से उन्होंने पार्टी और निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से विश्वासघात किया है, लोग उन्हें सबक सिखाएंगे’’


आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी सुशील गुप्ता ने कहा कि आप मजबूती से चुनाव लड़ेगी और जीतेगी. गुप्ता ने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार और परिवारवाद को खत्म करना होगा. बीजेपी  परिवारवाद (वंशवादी व्यवस्था) के खिलाफ बात करती है, लेकिन आदमपुर में हम क्या देख रहे हैं?’’


उन्होंने दावा किया कि आदमपुर में कोई विकास कार्य नहीं हुआ हैं, सड़कें खराब हैं और राज्य में शिक्षा की स्थिति भी ठीक नहीं है.


बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई ने हिसार से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वह चुनाव नहीं जीत पाए थे. उन्होंने भी अगस्त में कांग्रेस छोड़ दी थी. चार बार कांग्रेस के विधायक और दो बार सांसद रहे बिश्नोई तब से नाराज चल रहे थे, जब कांग्रेस ने इस साल की शुरुआत में हरियाणा इकाई के प्रमुख पद के लिए उनकी अनदेखी की थी.


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