Punjab News: बाढ़ ने पंजाब के कई हिस्सों में कहर बरपाया है, जिससे धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में विशेषज्ञों ने किसानों को सुझाव दिया है कि यदि खरीफ फसल की अगस्त के पहले सप्ताह तक बुवाई संभव नहीं है, तो वे मक्का, बाजरा, सब्जियां और मूंग जैसी वैकल्पिक फसलें उगाएं. पंजाब में 9 से 11 जुलाई के दौरान जबरदस्त बारिश हुई. इससे बड़े पैमाने पर खेतों में पानी भर गया है. 


2 लाख एकड़ में धान की दोबारा बुवाई की जरूरत
पंजाब कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि छह लाख एकड़ से अधिक खेतों में पानी भर गया है और इसमें से दो लाख एकड़ में धान की दोबारा बुवाई करने की जरूरत है. धान का सबसे अधिक रकबा पटियाला, संगरूर, मोहाली, रूपनगर, जालंधर और फतेहगढ़ साहिब जिलों में प्रभावित हुआ है. कुल मिलाकर पंजाब के 19 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. जिन किसानों की धान की फसल बाढ़ के पानी से प्रभावित हुई है, उन्हें अगस्त के पहले सप्ताह तक ग्रीष्मकालीन फसल को फिर से बोने के लिए कहा गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि अन्यथा कटाई में देरी होगी और अंतत नवंबर में गेहूं की फसल की बुवाई पर भी असर पड़ेगा.


मक्का और मूंग जैसी वैकल्पिक फसलें भी लगा सकते है किसान
पंजाब में कई बाढ़ प्रभावित क्षेत्र हैं जहां खेत अब भी जलमग्न हैं और इनसे पानी निकलने में कई दिन लगेंगे. ऐसे में किसानों के समक्ष धान की पुन बुवाई के लिए सीमित समय होगा. इसके अलावा धान की पौध दोबारा रोपाई के लिए तैयार होने में कई दिन लग जाते हैं. कृषि क्षेत्रों में उफनती नदियों के बाढ़ के पानी के साथ आए गाद और पत्थर भी धान फसल की रोपाई के लिए उत्पादकों के लिए चुनौती बन रहे हैं. राज्य कृषि विभाग के निदेशक गुरविंदर सिंह ने कहा अगर जलमग्न खेतों के कारण 7-8 अगस्त तक धान की फसल की दोबारा बुवाई संभव नहीं है, तो किसानों को मक्का और मूंग जैसी वैकल्पिक फसलें उगाने के लिए कहा जाएगा. अधिकारी ने कहा कि मक्के की फसल का उपयोग मवेशियों के चारे के रूप में किया जाएगा. अधिकारी ने कहा कि मूंग की फसल मृदा के स्वास्थ्य में सुधार के अलावा लाभकारी मूल्य दिला सकती है और यह 60-65 दिन में तैयार हो सकती है. 


अगर दोबारा धान नहीं लगा सके तो ये करें
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक (विस्तार शिक्षा) गुरुमीत सिंह बट्टर ने कहा कि किसान अगस्त में सब्जियां, बाजरा उगा सकते हैं और यदि धान दोबारा नहीं बोया जा सका, तो वे सितंबर में तिलहन की फसल भी उगा सकते हैं. धान उत्पादक जिनकी फसल बाढ़ के पानी में बर्बाद हो गई है, उन्हें सलाह दी गई है कि वे कम अवधि की चावल की किस्मों -पीआर 126 और पूसा बासमती-1509 के साथ खरीफ फसल की दोबारा बुवाई करें. लंबी अवधि की किस्मों को पकने में 110 से 130 दिन लगते हैं, जबकि पीआर 126 किस्म 93 दिन में पक जाती है, जिससे अगली गेहूं की फसल की बुवाई के लिए पर्याप्त समय मिल सकता है. 


यह भी पढ़ें: Lok Sabha Elections 2024: केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का लोकसभा चुनावों को लेकर बड़ा दावा, पंजाब प्रभारी जाखड़ के लिए कही ये बड़ी बात