Punjab Political News: बाहुबली मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को लेकर इन दिनों पंजाब (Punjab) की राजनीति में उबाल आ गया है. मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Maan) की ओर से यूपी के बाहुबली मुख्तार अंसारी पर पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान की वकीलों की 55 लाख रुपए की फीस मंजूर करने से इनकार करने और इसकी भरपाई कांग्रेस (Congress) सरकार के पूर्व मंत्रियों से करने पर विरोधियों के निशाने पर आ गए हैं. 


अब मामले पर शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने उल्टे मुख्यमंत्री पर हमला तेज कर दिया है. चीमा ने कहा कि पूर्व कांग्रेस शासन के दौरान पंजाब में मुख्तार को दिए गए 'आश्रय' के पीछे की आपराधिक साजिश पर अब मुख्यमंत्री भगवंत मान चुप क्यों हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज कई मामलों में एक राज्य सरकार ने दूसरे के हितों के खिलाफ काम किया और न्याय में देरी की. उन्होंने कहा कि इसकी तुलना में 55 लाख रुपये की वसूली बहुत ही छोटा मामला है. चीमा ने कहा कि क्या मामले में कार्रवाई इसलिए नहीं की जा रही है, क्योंकि इनमें से कुछ नेता अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं?


बयान को बताया राजनीति से प्रेरित


चीमा ने मुख्यमंत्री भगवंत मान की बयानबाजी के बाद उन्हें आड़े हाथों लिया. पार्टी के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने मान से यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि उन्होंने पिछले कांग्रेस शासन के उन नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? जिन्होंने रोपड़ जेल में कैद माफिया मुख्तार अंसारी को सुविधाएं दी.


चुप क्यों हैं भगवंत मान


शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता चीमा ने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि सीएम भगवंत मान ने यह दावा करके राजनीति करने की कोशिश की है कि वह पिछली कांग्रेस सरकार की ओर से मुख्तार अंसारी के लिए किराए पर लिए गए वकीलों पर खर्च किए गए 55 लाख रुपये की वसूली नहीं करेंगे. गौरतलब है कि अंसारी इस वक्त पंजाब के रोपड़ सेंट्रल जेल में बंद है. 


यह कहा था मुख्यमंत्री ने


पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरुवार को पिछली कांग्रेस सरकार पर यूपी के गैंगस्टर-राजनीतिज्ञ मुख्तार अंसारी को रूपनगर जेल में आरामदायक सुविधा प्रदान करने का आरोप लगाया और कहा कि वह तत्कालीन मंत्रियों से 55 लाख रुपये की कानूनी फीस हम सरकारी खजाने से भुगतान नहीं करेंगे. इसकी वसूली के लिए सलाह ले रहे हैं. मान ने जालंधर की एक रैली में कहा था कि हम कानूनी विशेषज्ञों से पूछ रहे हैं कि यह वसूली किससे की जानी है, इसको लेकर सलाह ले रहे हैं.


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