Punjab Politics: कैप्टन ने उठाई किसानों का मुआवजा डबल करने की मांग, बादल ने भी दिया साथ, अब क्या फैसला लेंगे CM मान?
Crop Damage Compensation: कैप्टन अमरिंदर ने पंजाब सरकार को घेरते हुए किसानों के लिए मुआवजे की मांग की है. कैप्टन ने दावा किया है कि किसानों के नुकसान का आंकलन के लिए अधिकारी अभी तक नहीं पहुंचे हैं.
Punjab News: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने मंगलवार को उन किसानों के लिए मुआवजे की मांग की, जिनकी गेहूं की फसल बारिश और ओलावृष्टि से खराब हो गई. जबकि शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल (Sukhbir Singh Badal) ने 50000 रुपये प्रति एकड़ की दर से फसल राहत जारी करने की मांग की. कैप्टन ने कहा कि सरकार को विशेष गिरदावरी के बाद वास्तविक मुआवजा मिलने तक किसानों को अंतरिम राहत देने पर भी विचार करना चाहिए.
'30 हजार प्रति एकड़ मिले मुआवजा'
पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित 15,000 रुपये का मुआवजा बहुत कम है क्योंकि किसानों को काफी नुकसान हुआ है. कैप्टन ने कहा कि मुआवजा कम से कम 30,000 रुपये प्रति एकड़ होना चाहिए. बारिश ने राज्य भर में खड़ी गेहूं की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. जिससे ज्यादातर किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. इससे उन किसानों की आय पर भी असर पड़ेगा जो पहले से ही गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि सरकार विशेष गिरदावरी के आदेश देने का दावा कर रही है, जबकि जमीनी रिपोर्ट बताती है कि किसानों के नुकसान का आंकलन करने के लिए अभी तक कोई अधिकारी उनके पास नहीं पहुंचा है. उन्होंने कहा, इसका मतलब यह है कि इसमें और समय लगेगा और तब तक किसानों को कुछ अंतरिम राहत दी जानी चाहिए ताकि वह अगली फसल बो सकें और दिन-प्रतिदिन के मामलों का प्रबंधन कर सकें. उन्होंने सरकार से युद्धस्तर पर राहत उपाय करने का आग्रह किया.
तत्काल मुआवजा देने की मांग
अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) की आलोचना करते हुए कहा, 'मुख्यमंत्री किसका इंतजार कर रहे हैं? राज्य के लगभग आधे हिस्से में गेहूं की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. इसकी पुष्टि कृषि विशेषज्ञों ने भी की है. आम आदमी पार्टी ने भी 'दिल्ली मॉडल' पर फसल क्षति के तुरंत बाद मुआवजा देने का वादा किया था और किसानों को राहत देने से इनकार करने के लिए मूल्यांकन प्रक्रिया में देरी करने के बजाय अपने वादे को पूरा करना चाहिए. बादल ने कहा कि किसानों को पिछले साल गेहूं और कपास की फसल को हुए नुकसान का मुआवजा नहीं मिला है, वह भी तत्काल दिया जाना चाहिए.
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