(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Punjab: एलन मस्क के एक्स के दावे पर राजा वडिंग ने बीजेपी को घेरा, बोले- ‘पंजाबियों की आवाज कोई नहीं दबा सकता’
Amarinder Singh Raja Warring News: लन मस्क के दावे पर कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा वडिंग की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि पंजाबियों की आवाज को कोई नहीं दबा सकता है किसी भ्रम में मत रहना.
Punjab News: पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर दावा किया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के मालिक एलन मस्क ने खुलासा किया है कि उनकी तरफ से भारत में कई अकाउंट और पोस्ट को निलंबित किया गया है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने किसानों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित खातों और पोस्ट को हटाने के लिए कार्यकारी आदेश जारी किए हैं. हालांकि, हम इन कार्यों से असहमत हैं और मानते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सही है लेकिन सरकार के आदेशों का पालन करना होगा.
कांग्रेस नेता राजा वडिंग ने आगे कहा कि एलन मस्क का जवाब बीजेपी की लोकतंत्र को कमज़ोर करने की हरकतों पर साफ़ तमाचा है. पंजाबियों की आवाज को कोई नहीं दबा सकता है किसी भ्रम में मत रहना.
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत की भी आई थी प्रतिक्रिया
वहीं एलन मस्क के खुलासे को लेकर कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत की भी प्रतिक्रिया आई थी. उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि हालहीं के दिनों में देश में तमाम एक्स अकाउंट बिना मतलब के बंद कर दिए गए हैं. इसकी जबरन कार्रवाई को एक्स ने स्वीकारा है. भारत सरकार के आदेश पर एक्स का ज़रूरी वक्तव्य है कि भारत सरकार ने कार्यकारी आदेश जारी किए हैं, जिसमें एक्स को कुछ अकाउंट और पोस्टों पर कार्रवाई करने के लिए कहा गया है, ऐसा ना करने पर जुर्माना और जेल भी संभव है. आदेशों के अनुपालन में, हम इन अकाउंट और पोस्टों को केवल भारत में रोक रहे हैं; हालांकि, हम इस कार्यवाही से असहमत हैं और मानते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इन अकाउंट और उनकी पोस्टों को भी है.
अपने इस मत के अनुरूप भारत सरकार के अकाउंट को रोकने वाले आदेशों को चुनौती देने वाली हमारी अपील न्यायालय में लंबित है. हमने अपनी नीतियों के अनुसार प्रभावित लोगों को इन कार्रवाइयों की सूचना भी दी है. कानूनी प्रतिबंधों के कारण, हम भारत सरकार के कार्यकारी आदेशों को यहां प्रकाशित करने में असमर्थ हैं, लेकिन हमारा मानना है कि पारदर्शिता के लिए उन्हें सार्वजनिक करना आवश्यक है. सार्वजनिक ना करने पर जवाबदेही तय नहीं होगी और मनमाने निर्णय बढ़ेंगे.
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