Amritpal Singh Father New Party: 'वारिस पंजाब दे' संगठन के प्रमुख और निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) के पिता तरसेम सिंह 14 जनवरी को नई क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी की घोषणा करेंगे. माघी मेला के मौके पर मुक्तसर साहिब में 'पंथ बचाओ - पंजाब बचाओ' रैली में नई पार्टी का ऐलान किया जाएगा. पार्टी के नाम के साथ पांच सदस्यीय कमेटी भी बनाई जाएगी जो पार्टी के संबंध में आगे के फैसले करेगी.
ऐसे समय में जब पंथ की राजनीति करने वाली पार्टी शिरोमणि अकाली दल (बादल) संकट से गुजर रही है. वहीं, बीजेपी पंजाब में अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है. इस बीच अमृतपाल सिंह की नई पार्टी पंजाब के राजनीतिक समीकरण बदल सकती है.
हिंदुओं को पक्ष में करने की चाह, लेकिन टारगेट से पीछे BJP
बीजेपी पंजाब में अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश में लगी है और राज्य के हिंदुओं को अपने पक्ष में करने के प्रयास कर रही है. हालांकि, बीजेपी के सदस्यता अभियान में अपेक्षा के अनुरूप सदस्यता नहीं हो रही और पार्टी अपने तय लक्ष्य से काफी पीछे है. लोकसभा चुनावों में बेशक बीजेपी ने 18.5 फीसदी वोट हासिल किए, लेकिन कोई सीट नहीं जीत पाई. इसके बाद विधानसभा उपचुनाव में और नगर निगम चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन ज्यादा अच्छा नहीं रहा.
अमृतपाल की पार्टी से BJP को फायदा, कांग्रेस को नुकसान?
दूसरी ओर, अमृतपाल सिंह और उनके सहयोगियों द्वारा खालिस्तान की मांग का समर्थन जगजाहिर है. अमृतपाल सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं. ऐसे में नई बनने वाली पार्टी से हिंदू तबकों में असहजता हो सकती है और वे बीजेपी की तरफ झुक सकते हैं.
पंजाब में हिंदू वोट बैंक आमतौर पर कांग्रेस के साथ खड़ा रहता है, लेकिन नई पार्टी बनने से अगर हिंदू असहज महसूस करते हैं और बीजेपी के साथ जाते हैं तो कांग्रेस को इसका नुकसान झेलना पड़ सकता है.
पंथ के नए नेता अमृतपाल सिंह?
अमृतपाल सिंह ने जिस तरह से जेल में रहकर लोकसभा का चुनाव जीता, उससे उनके समर्थकों को लग रहा है कि पंजाब का पंथक वोट बैंक उनकी नई बनने वाली पार्टी की तरफ आ सकता है क्योंकि वे अमृतपाल में पंथ का नया नेता देख रहे हैं. इसका सीधा नुकसान शिरोमणि अकाली दल (बादल) को हो सकता है.
हालांकि पंजाब की राजनीति में पहले भी शिरोमणि अकाली दल (बादल) की जगह लेने के मकसद से कई पंथक पार्टियां बनाई गईं जो राजनीति में इतनी कामयाब नहीं हो सकीं. इसकी वजह यह रही कि शिरोमणि अकाली दल (बादल) के नेताओं को मॉडरेट सिख नेताओं के तौर पर जाना जाता है, जिससे खालिस्तान समर्थक सिख वोट बैंक छोड़ देते हैं और जो मॉडरेट सिख हैं, उनका समर्थन उन्हें मिलता है.
बड़े पैमाने पर बदल सकते हैं पंजाब के राजनीतिक समीकरण
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में ये माना जाता है कि शिरोमणि अकाली दल (बादल) का काफी वोट बैंक आम आदमी पार्टी की तरफ चला गया था. इससे आम आदमी पार्टी के लिए भी समीकरण बदलेंगे. ऐसे में अमृतपाल सिंह के पिता द्वारा बनाया जाने वाला नया राजनीतिक दल कितना कामयाब हो पाता है, ये देखना होगा. अगर अमृतपाल सिंह के पिता द्वारा बनाई गई नई पार्टी कामयाब होती है तो पंजाब में राजनीतिक समीकरण बड़े पैमाने पर बदल सकते हैं.
सचिन कुमार की रिपोर्ट.
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