Punjab News:  पंजाब में सिख बंदियों की रिहाई को लेकर लंबे समय से आंदोलन चल रहा है. इस आंदोलन ने अब सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस की चिंता बढ़ा दी है. सुरक्षा एजेंसियों अब इस आंदोलन में खालिस्‍तानी समर्थक कट्टरपंथियों के शामिल होने की आशंका है. अभी पिछले दिनों ही पुलिस और कौमी इंसाफ मोर्चा के बीच हुई झड़प में 40 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. वही अब किसान संगठनों ने भी प्रदर्शन का एलान किया है. ऐसे में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ना लाजमी है. 


32 किसान संगठनों ने दिया था समर्थन
पहले किसान संगठन खालिस्तान समर्थक समूहों से दूरी बनाकर रखते थे, लेकिन अब नजारा अलग नजर आ रहा है. किसान संगठन अब कट्टरपंथियों के मोर्चे को एक मंच मुहैया करवा रही है. अभी पिछले महीने ही 32 किसान संगठनों ने कौमी इंसाफ मोर्चा को अपना समर्थन देने का फैसला किया था. कीर्ति किसान यूनियन के रमिंदर सिंह पटियाला ने तो कहा भी था कि सभी किसान संगठनों का निर्णय है जो कैदी अपनी सजा पूरी कर चुके उन्हें रिहा किया जाना चाहिए. हालांकि कुछ किसान संगठनों में कौमी इंसाफ मोर्चा को समर्थन देने पर मतभेद है लेकिन एकजुटता व्यक्त करने के लिए उन्हें भी उन संगठनों का साथ देना पड़ा. पहले समर्थन से दूर हट रहे बीकेयू-उगराहन कृषि संघ ने अपनी कुछ शर्तों के बाद जैसे एससी, एसटी, धार्मिक और राजनीतिक कैदियों की रिहाई के साथ समर्थन देने का फैसला किया. 


कट्टरपंथियों को मिल सकता है फायदा
सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस को चिंता है कि अब किसान संगठनों द्वारा समर्थन देने से कट्टरपंथी को पैनपने का मौका मिल जाएगा. मोहाली के विरोध स्थल पर युवाओं का एक वर्ग द्वारा साम्यवाद विरोधी नारे भी लगाए गए थे. वही अब अधिकारी का कहना है कि वो अब अलर्ट मोड पर है. हर स्तिथि की बारीकी से निगरानी रखी जा रही है.


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