पंजाबी सिंगर और रैपर सिद्धू मूसेवाला की निर्मम हत्या ने पूरे पंजाब को दहला दिया है. सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने अतीत के घावों को फिर से कुरेद दिया है, क्योंकि पहले भी पंजाब में कई कालाकारों की हत्या हुई है. क्योंकि इससे पहले भी पंजाब के गैंगस्टर कल्चर की वजह से राज्य के लोकप्रिय कलाकारों को निशाना बनाया गया था. इस हादसे को लेकर पंजाबी साहित्य सभा के वरिष्ठ कार्याकी सदस्य जेसी परिंदा ने कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने अतीत की पुराने घावों को कुरेद दिया है. राज्य को गैंगस्ट कल्चर पर लगाम लगानी होगी.
पंजाब में यह पहली बार नहीं हुआ है कि किसी कलाकार की इस तरीके से निर्मम हत्या हुई है. इससे पहले साल 1988 में क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह संधू जो लोकप्रिय रूप से पाश के नाम से जाने जाते थे उनको जालंधर जिले के तलवंडी सलेम गांव में आतंकवादियों ने मार दिया है. इसके साथ ही लोकप्रिय पंजाबी गायक अमर सिंह चमकीला महज 27 साल की उम्र में अपनी पत्नी अमरजोत सिंह के साथ मारे गए थे. चमकीला 8 मार्च 1988 को पंजाब के मेहसामपुर में परफॉर्म करने के लिए पहुंचे थे, यहां पर दोनों पति पत्नी पर बाइक पर सवार हमलावरों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी, जिससे अमर सिंह चमकीला और वाइफ अमरजोत की मौत हो गई.
चमकीला अपने गानों में नशीली दवाओं के दुरुपयोग, शराब का काफी जिक्र किया करते थे. इनके दीवानदी खासकर युवाओं के बीच काफी थी. वहीं साल 1988 में धर्मेंद्र के चचेरे भाई पंजाबी अभिनेता वीरेंद्र सिंह को भी लुधियाना में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान गोली मार दी गई थी. इसके अलावा एक अन्य लोकप्रिय पंजाबी गायक दिलशाद अख्तर की साल 1996 में गुरदासपुर गांव में एक शादी के दौरान कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी. साल 2018 में मोहाली में गैंगस्टरों के हमले में गायक परमीश वर्मा भी घायल हो गए थे.
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फिर से राज्य जा रहा है अंधेरे में
अब फिर से पंजाब में कलाकारों के लिए खूनी खेल शुरू हो रहा है. पंजाबी साहित्य सभा के वरिष्ठ कार्यकारी सदस्य जेसी परिंदा ने कहा आतंकवाद के दौरान कलाकारों को निशाना बनाया गया और पंजाब को सामान्य स्थिति में लौटने में बहुत समय लगा. यदि अभी कड़े कदम नहीं उठाए गए तो राज्य फिर से अंधेरे की ओर धकेला जा सकता है.
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