CPCB Report: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, जीरा शराब फैक्ट्री के पास नहीं पीने लायक पानी
जीरा शराब फैक्ट्री के आसपास के बोरवेल के पानी की जांच के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बड़ा खुलासा किया है. वहां की बोरवेल के पानी में टीडीएस, बोरोन और सल्फेट अधिक मात्रा में पाए गए है.
Punjab News: पंजाब के फिरोजपुर के जीरा में स्थित शराब फैक्ट्री एक बार फिर चर्चाओं में है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शराब फैक्ट्री के पास मौजूद बोरवेल का पानी पीने के योग्य नहीं है. आपको बता दें कि 12 बोरवेल के पानी के नमूनों में गंध आ रही थी और 5 नूमनों में काला पानी था. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की चंडीगढ़ में स्थित डायरेक्टोरेट ने 19 मई को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को रिपोर्ट सौंपी है.
‘पानी में पाई गई भारी धातुओं की मात्रा’
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन बोरवेल के पानी में टीडीएस, बोरोन और सल्फेट अधिक मात्रा में पाए गए है. इसके अलावा शराब फैक्ट्री के पास मौजूद दो बोरवेल के पानी में आर्सेनिक, लोहा, मैगनीज निकल और सीसे सहित भारी धातुएं पाई गई है. वहीं इसको लेकर फैक्ट्री प्रबंधन का कहना है कि उनपर लगाए गए आरोप तथ्यों से परे है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को शिकायतों को ध्यान में रखते हुए वाजिब कदम उठाने के लिए कहा है. ताकि भूजल और ज्यादा प्रदूषित ना हो.
संयंत्र को बंद करने का दिया गया था आदेश
आपको बता दें कि पंजाब के जीरा की ये वहीं शराब फैक्ट्री है जिसे बंद करवाने के लिए किसानों का आंदोलन 24 जुलाई 2022 से शुरू हुआ था और करीब 177 दिन चला था. जिसके बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों की मांग मानते हुए इस शराब फैक्ट्री को बंद करने के निर्देश दिए थे. ये ये शराब की फैक्ट्री साल 2006 में शुरू हुई थी. लोगों का आरोप था कि इससे वो कैंसर, काला पीलिया जैसे बीमारियों का शिकार हो रहे है. करीब 6 महीने तक चले इस आंदोलन के दौरान कई किसानों पर मामले भी दर्ज हुए और कई किसानों की इस आंदोलन के दौरान मौत भी हुई. सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी जीरा मोर्चा पंजाब में छाया रहा. सरकार ने अपनी किरकिरी होते देख इस फैक्ट्री को बंद करने को बंद करने का ऐलान किया.