हिमाचल विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिमाचलियों के साथ भावनात्मक संबंध पर भरोसा करने की कोशिश कर रही है. इसके साथ ही बीजेपी राज्य में 'मिशन रिपीट' की तैयारी में लग गई है क्योंकि यहां सरकार हर पांच साल में बदलती है. वहीं कहा जा रहा है बीजेपी ने पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के आठ साल पूरे होने का जश्न शिमला में एक मेगा रैली के साथ मनाने की योजना बनाई है. इस आयोजन की योजना दो उद्देश्यों के साथ बनाई गई है, जिसमें विधानसभा चुनावों के लिए शिमला में अपने कार्यकर्ताओं को मजबूत करने और आगामी नगर निगम चुनावों के लिए पार्टी की स्थिति मजबूत करना मु्ख्य उद्देश्य है.


बीजेपी हिमाचल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आगामी नगर निगम चुनावों के लिए भी तैयारी कर रही है, क्योंकि वर्तमान नगर निगम का कार्यकाल 8 जून को समाप्त होगा. हिमाचल में नगर निगम का चुनाव बीजेपी  के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इससे विधानसभा चुनाव में बीजेपी की स्थिति का पता चल जाएगा. कांग्रेस ने 25 से अधिक सालों तक नगर निगम पर राज किया है, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने साल 2012 में मेयर और डिप्टी मेयर के पदों पर जीत हासिल की थी.


इसके बाद साल 2017 के नगरपालिका चुनावों में बीजेपी ने 19 सीटों पर जीत हासिल की. इसके अलावा बीजेपी ने दो निर्दलीय उम्मीदवारों को भी अपने पाले में ले लिया था और फिर निगर निगम में एंट्री की. हालांकि इस बार बीजेपी शिमला नगर निगम में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. क्योंकि बीजेपी  तीन विधानसभा क्षेत्रों फतेहपुर, जुब्बल-कोटखाई और अर्की में उपचुनाव हार गई, लेकिन प्रतिभा सिंह ने मंडी संसदीय सीट पर कब्जा किया. बीजेपी हिमाचल पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है क्योंकि यह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का गृह राज्य है. 


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पीएम मोदी कर सकते हैं हिमाचल का दौरा


वहीं इस चुनाव से पहले ही पीएम मोदी के 16 जून को चंबा जाने और 17 और 18 जून को धर्मशाला में मुख्य सचिवों के सम्मेलन में भाग लेने की संभावना है. इसके साथ ही वह बिलासपुर में एम्स का उद्घाटन करने और मंडी में एक रैली का नेतृत्व करने भी आ सकते हैं. बीजेपी पीएम मोदी की बैक-टू-बैक रैलियों के साथ हिमाचल में चुनावी लहर को अपने पक्ष में करने की कोशिश करेगी. 


हिमाचल से पीएम मोदी का है पुराना नाता


पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त होने से पहले साल 1997 से 1998 तक पार्टी के हिमाचल मामलों के प्रभारी थे और उन्होंने बीजेपी और सुख राम के नेतृत्व वाली हिमाचल विकास कांग्रेस की गठबंधन सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इतना ही नहीं पीएम मोदी का हिमाचल के नेताओं और कार्यकर्ताओं से निजी संबंध हैं. 


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