British High Commissioner Jallianwala Bagh Visit: भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस बुधवार को जलियांवाला बाग पहुंचे. एलिस ने जलियांवाला बाग हत्याकांड को एक शर्मनाक घटना बताया और खेद व्यक्त किया. 


ब्रिटिश उच्चायुक्त  ने उप उच्चायुक्त कैरोलिन रोवेट के साथ स्वर्ण मंदिर में भी मत्था टेका. साथ ही शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, एलिस ने 13 अप्रैल, 1919 को हुए नरसंहार को ब्रिटेन और भारत के इतिहास का काला दिन बताया. 


जाने से पहले, उन्होंने विजीटर बुक में अपनी भावनाओं को यह कहते हुए लिखा कि जालियांवाला बाग में जो हुआ वह शर्मनाक था. जो हुआ वह दुखद था. उसका हमें गहरा अफसोस है. इस हत्याकांड को भुलाया नहीं जा सकता है. 


13 अप्रैल 1919 को हुआ था जलियांवाला बाग नरसंहार


अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में यह नरसंहार 13 अप्रैल 1919 को हुआ था. ब्रिटिश-भारतीय सेना के कर्नल रेजीनल्ड डायर के नेतृत्व वाली टुकड़ी ने आजाद भारत के समर्थन में सभा कर रहे लोगों को चारों ओर से घेरकर अंधाधुंध गोलीबारी की थी. रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना में सैकड़ों लोग मारे गए. अनेक लोगों ने गोलियों से बचने के लिए बाग स्थित कुएं में छलांग लगा दी, लेकिन कुएं में कूदने से भी उनकी मौत हो गई. बाग में 100 साल बाद भी गोलियों के निशान मौजूद हैं जो भारतीयों पर ब्रिटिश शासन के अत्याचार की कहानी बयां करते हैं.


ब्रिटिश सरकार ने इस नरसंहार पर अब तक माफी क्यों नहीं मांगी है के सवाल पर ब्रिटेन के उच्चायुक्त ने कहा, ‘‘वास्तव में यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, लेकिन मैं आपसे केवल इतना कहूंगा कि मैं यहां जो करने आया, उसका सम्मान करें.’’ उन्होंने कहा, "यह 100 साल पहले मारे गए लोगों को याद करने का समय है और वह ब्रिटिश सरकार की तरफ से यहां दुख व्यक्त करने के लिए आए हैं.’’


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