Punjab News: लोकसभा चुनाव के लिए पंजाब में बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) का शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन जारी रहेगा. यानी 2024 पंजाब में लोकसभा चुनाव बसपा शिरोमणि अकाली दल (SAD) के साथ गठबंधन में लड़ेगी. बसपा (BSP) सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने ट्वीट कर इसके संकेत दे दिये हैं.


गुरुवार (2 फरवरी) को शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के प्रमुख सुखवीर सिंह बादल (Sukhveer Singh Badal) व बहुजन समाज पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की दिल्ली में बैठक हुई. मायावती ने ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुे कहा, 'शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख श्री सुखवीर सिंह बादल व बहुजन समाज पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की आज दिल्ली में हुई बैठक में पंजाब में अगले लोकसभा आमचुनाव में पुराने आपसी गठबंधन की मज़बूती व बेहतर तालमेल आदि के सम्बंध में सौहार्दपूर्ण वातावरण में आगे की रणनीति पर लाभकारी बातचीत.'


आप की वादाखिलाफी से पंजाब की जनता त्रस्त- मायावती


मायावती ने कहा कि अकाली दल और बीएसपी के भरोसेमंद गठबंधन पर जनता की नजर है. लोकसभा में इसके अच्छे रिजल्ट से देश की राजनीति में बेहतर तब्दीली संभव है. बसपा सुप्रीमो ने कांग्रेस और पंजाब की आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि पंजाब की जनता पहले कांग्रेस और अब आप की वादा खिलाफी और कार्यकलापों से दुखी है. बीजेपी की जुगाड़ वाली निगेटिव राजनीति भी लोगों को पसंद नहीं आ रही है. 


दिल्ली में हुई इस बैठक में पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के साथ उनकी पत्नी और सांसद हरसिमरत कौर बादल ने हिस्सा लिया. बैठक को लेकर बीएसपी की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया कि इस बैठक में अगले लोकसभा चुनाव में पुराने आपसी गठबंधन की मजबूती, बेहतर मेलजोल और तालमेल बनाए रखने आदि के संबंध में सौहार्दपूर्ण बातावरण में आगे की रणनीति पर विस्तार से बातचीत हुई.


बीएसपी को अकाली दल के नेताओं पर पूरा भरोसा- मायावती


प्रेस रिलीज में आगे कहा गया कि विरोधियों की लाख षड्यंत्रकारी कोशिशों के बावजूद अकाली दल-बीएसपी गठबंधन को गांव-गांव में मजबूत बनाकर वादाखिलाफी नहीं बल्कि पूरी तरह से वादा निभाने वाली पंजाब की मनपसंद गठबंधन बनने का अपना प्रयास लगातार जारी रखना है. इस मौके पर मायावती ने कहा कि बीएसपी को अकाली दल के नेताओं पर पूरा भरोसा है कि वे बीएसपी की तरह ही अपना वोट भी हमारी पार्टी को ट्रांसफर कराने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, ताकि गठबंधन का वाकई फायदा हो और ज्यादा से ज्याद उम्मीदवार जीत सकें. आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए मायावती अब सक्रिय होती दिख रही हैं और अपने संगठन को मजबूत करने में जुट गई हैं.


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