Punjab News: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब लोक कांग्रेस के अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह, सोमवार को अपनी पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टी में कर देंगे. पार्टी का विलय करने से पहले कैप्टन ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात की. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब कैप्टन, अपनी पार्टी का विलय किसी अन्य दल में कर रहे हैं.


आज से 22 साल पहले भी कैप्टन ने कुछ ऐसा ही हुआ था. हालांकि तब यह विलय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में किया गया था. 30 साल पहले साल 1992 में अकाली दल से रिश्ता तोड़ने के बाद उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (पंथिक) का गठन किया. 6 साल बाद साल 1998 में कैप्टन ने पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया था.


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बुरी तरह हार गई थी कैप्टन की पार्टी
इसी साल मार्च में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कैप्टन की पार्टी बुरी तरह हार गई थी. कैप्टन खुद अपनी सीट भी नहीं बचा पाए. साल 1992 में भी कैप्टन के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था. साल 1998 में जब अमरिंदर सिंह ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय किया तब राजिंदर कौर भट्टल की जगह वह पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने थे. 


कैप्टन ने बीते साल नवंबर में पंजाब लोक कांग्रेस का गठन किया था. दरअसल, वह इस बात से नाराज थे कि पार्टी ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का चीफ बनाया. फिर सिद्धू ने अपने घर विधायकों को इकट्ठा करना शुरू किया और शक्ति प्रदर्शन कर कांग्रेस हाईकमान पर सीएम दबाव डाला. जिसके परिणामस्वरूप पार्टी ने चरणजीत सिंह चन्नी को सितंबर 2021 में राज्य का सीएम नियुक्त किया. इसके बाद ही कांग्रेस और कैप्टन के बीच असहमति की खाई बढ़ती गई.


इसके बाद मार्च 2022 में पंजाब विधानसभा के चुनाव हुए जिसमें कैप्टन की पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के साथ चुनाव लड़ा हालांकि उसेक हिस्से कोई खास सफलता हाथ नहीं आई. 


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