Chandigarh: चंडीगढ़ नगर निगम में बड़ा उलटफेर हुआ है. सुप्रीम कोर्ट में चुनाव को लेकर धांधली के आरोपों पर सुनवाई से पहले चंडीगढ़ के नए मेयर मनोज सोनकर (Manoj Sonkar) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बीजेपी की चंडीगढ़ इकाई के प्रमुख जतिंदर पाल मल्होत्रा ने कहा कि मनोज सोनकर ने निगम आयुक्त को अपना इस्तीफा सौंपा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और आप के बीच कोई गठबंधन नहीं है और वो सिर्फ जनता को बेवकूफ बना रहे हैं. इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों ने बीजेपी का दामन थाम लिया है.
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (19 फरवरी) को चंडीगढ़ मेयर चुनाव में कथित धांधली को लेकर रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह पर लगे आरोपों पर सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन से मेयर पद के कैंडिडेट रहे कुलदीप कुमार की याचिका पर सुनवाई होनी है. कुलदीप कुमार ने रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह पर वोटिंग के दौरान धोखाधड़ी करने के आरोप मढ़े थे.
AAP के 3 पार्षद बीजेपी में शामिल
आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ के तीन पार्षदों ने पाला बदलते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण सूद ने कहा कि आप के तीन पार्षद नेहा, पूनम और गुरुचरण काला पार्टी के वरिष्ठ नेता विनोद तावड़े की उपस्थिति में बीजेपी में शामिल हुए. अब आप के तीन पार्षदों के पाला बदलने से यह तय है कि जब भी मेयर के नए चुनाव होंगे तो पलड़ा बीजेपी के पक्ष में झुक जाएगा. उनके शामिल होने से पहले, 35 सदस्यीय चंडीगढ़ नगर निगम में बीजेपी के 14 पार्षद थे और आप के 13 पार्षद थे.
कुछ और पार्षद बदल सकते हैं पाला?
आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों के बीजेपी में जाने के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के पास 17 पार्षद बच गए हैं, जबकि बीजेपी के पास सांसद और अकाली दल का वोट मिलाकर 19 हो गए हैं. चंडीगढ़ कॉरपोरेशन में कुल 35 पार्षद हैं, जबकि एक वोट सांसद का होता है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चंडीगढ़ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के कुछ और पार्षद भी बीजेपी के संपर्क में हैं. बताया जा रहा है कि कुछ और लोग भी बीजेपी ज्वाइन कर सकते हैं.
रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह पर क्या है आरोप?
बीजेपी ने 30 जनवरी को मेयर पद के लिए हुए चुनाव में जीत हासिल की थी, जिससे आप और कांग्रेस के गठबंधन को झटका लगा था. रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह पर मत पत्रों में छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया था. मनोज सोनकर ने मेयर पद के लिए हुए चुनाव में 'आप' के कुलदीप कुमार को मात दी थी. मनोज सोनकर को 16, जबकि कुलदीप कुमार को 12 वोट मिले थे. इसके साथ ही 8 वोट अवैध घोषित किए गए थे. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से कुछ दिन पहले ही बीजेपी ने अनिल मसीह को अल्पसंख्यक विंग के महासचिव पद से हटा दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
कुलदीप कुमार ने बाद में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. अदालत ने पांच फरवरी को मेयर चुनाव कराने वाले निर्वाचन अधिकारी को फटकार लगाते हुए कहा था कि यह साफ है कि उन्होंने मतपत्रों में छेड़छाड़ की थी और उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा था कि अधिकारी का कृत्य 'लोकतंत्र की हत्या और मजाक' है. अदालत ने मत पत्रों और वोटिंग की कार्यवाही के वीडियो को सुरक्षित रखने का भी आदेश दिया था. साथ ही 19 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई के दिन निर्वाचन अधिकारी को व्यक्तिगत तौर से पेश होने के आदेश दिए थे.
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