Chandigarh News: चंडीगढ़ नगर निगम का चुनाव खत्म होने के बाद से ही सुर्खियों में बना हुआ है. ऐसा इसलिए कि इन चुनावों में किसी भी पार्टी को मेयर की कुर्सी तक पहुँचने के जरुरी 19 मत नहीं हैं. शनिवार यानी आज इन चुनावों की गहमा-गहमी और उठा पटक पर विराम लग जायेगा. जहां आज मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के पदों को लेकर का चुनाव होगा. जिसके बाद शहर को नया मेयर मिल जाएगा. चंडीगढ़ में पहले एक साल के लिए महिला मेयर होगी. कुछ ही दिनों में संभावित पंजाब विधानसभा के चुनावों को देखते हुए, चंडीगढ़ मेयर की कुर्सी अहम मानी जा रही है. 


मेयर के कुर्सी के लिए इन पार्टियों के बीच होगा कड़ा मुकाबला 
कांग्रेस व अकाली दल के पार्षद ने मतदान प्रक्रिया में भाग लेने से इनकार के बाद चुनावों में मुकाबला और भी रोमांचक हो गया है. ऐसे में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) और आम आदमी पार्टी (AAP) में कड़ा मुकाबला है. 


आप के चुनाव में 14 पार्षद जीते हैं, तो भाजपा के 12 पार्षद जीतकर आए हैं. वहीं पिछले दिनों कांग्रेस से निकाले जाने के बाद देवेंद्र सिंह बबला अपनी नवनिर्वाचित पार्षद पत्नी हरप्रीत कौर बबला के साथ बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, जबकि सांसद किरण खेर का एक वोट मिलने से बीजेपी के पास भी अब 14 वोट हो चुके हैं. बिना कोई अतिरिक्त मत मिलने पर मेयर का चुनाव पर्ची के माध्यम से होगा.


खरीद-फरोख्त से बचने के लिए सभी पार्टियों ने अपने पार्षदों को किया है शहर से बाहर शिफ्ट
सभी पार्टियों ने खरीद फरोख्त और अपने पार्षदों के बिकने का डर है, जिसके बाद नगर निगम चुनाव में अपने पार्षदों को टूटने से रोकने के लिए आप, बीजेपी और कांग्रेस तीनों ने ही अपने पार्षदों की परेड कराई है. आप अपने पार्षदों को दिल्ली लेकर गई तो सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की गई. भाजपा ने अपने पार्षदों को कसौली और फिर शिमला भेज दिया, वहीं कांग्रेस अपने जीते हुए पार्षदों को लेकर राजस्थान चली गई. मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर के लिए भाजपा व आप दौड़ में है, लेकिन दोनों के पास बराबर बहुमत है. 


एक साल के लिए होगा मेयर, कांग्रेस और अकाली बनेंगे दर्शक 
हम आपको बता दें कि, नगर निगम में मेयर का पद सिर्फ एक साल के लिए ही है. यहां पर हर साल नए मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव होता है. ऐसे में चंडीगढ़ के मेयर की कुर्सी के लिए पूरे साल जोड़-तोड़ की राजनीति चलती रहती है. मतलब किसी पार्षद के दूसरी पार्टी में शामिल हो जाने से अगले साल स्थिति बदल जाती है. 


चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों में कांग्रेस ने 8 सीट तो वहीं अकाली दल सिर्फ एक सीट ही जीत सकी थी. जबकि कांग्रेस पार्षद देवेंद्र सिंह बबला ने अपनी पत्नी सहित भाजपा की सदस्यता लेने के बाद, अब उनके पाले में सिर्फ सात ही पार्षद रह गए हैं. इन दोंनों पार्टियों के पार्षद सदन में तो आएंगे, लेकिन मतदान नहीं करेंगे. 


इस जादुई आंकड़े की जरुरत होगी मेयर की कुर्सी तक पहुंचनें के लिए
नगर निगम की कुर्सी पर विराजमान होने के लिए किसी भी पार्टी को 19 मत चाहिए. वहीं पार्षदों के चुनावों के परिणामों के बाद स्पष्ट हो गया था कि कोई भी पार्टी बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंची है. इसलिए मेयर चुनाव में जो पार्टी जीत जाएगी, वह बहुमत लाने के लिए भी जोर लगाएगी. ऐसे में कौन सी पार्टी किसका पार्षद तोड़कर अपने साथ लाएगी, यह भी काफी दिलचस्प होगा.


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