Chandigarh News: चंडीगढ़ स्थित आम के बागान से ‘जिंदा’ बम निकालने के एक दिन बाद सेना के विशेषज्ञों ने बुधवार को स्थानीय पुलिस को बताया कि गोले में विस्फोटक सामग्री नहीं थी. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बम का गोला पुराना था जिसका निर्माण वर्ष 1960 के दौरान भारतीय आयुध कारखाने में हुआ था.


चंडीगढ़ की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनीषा चौधरी ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘आज हमें सेना से विस्तृत रिपोर्ट मिली जिसके मुताबिक वह जिंदा बम नहीं था. गोले में कोई विस्फोटक सामग्री नहीं थी.’’ उन्होंने बताया, ‘‘गोले पर बने चिह्नों के आधार पर सैन्य अधिकारियों ने बताया कि इसका निर्माण भारतीय आयुध कारखाना में 1960 के दौरान हुआ था और इन्हें दागने के लिए टैंक जैसी हथियार प्रणाली की जरूरत होती है.’’


पुलिस अधीक्षक मनीषा चौधरी ने क्या बताया
चौधरी ने बताया कि इस तरह के गोलों का अब सेना द्वारा इस्तेमाल नहीं किया जाता है. उन्होंने बताया, ‘‘आम के बागान में गोले को राहगीर ने देखा था. प्राथमिक जांच के बाद हमें महसूस हुआ कि इनका इस्तेमाल सेना तोपों में करती है जिसके बाद हमने पश्चिमी कमान से गोले की जांच करने के लिए विशेषज्ञों की टीम भेजने का अनुरोध किया. ’’चौधरी ने बताया कि गोले को नष्ट करने के लिए सेना मंगलवार को अपने साथ ले गई थी.


अधिकारियों ने गोले को करार दिया था जिंदा बम 
सेना के बम निरोधक दस्ते के विशेषज्ञों ने मंगलवार को उस गोले को हटाया जो एक दिन पहले उस हेलीपैड के करीब मिला था जिसका इस्तेमाल हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री करते हैं. घटना स्थल पर पहुंचे कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने गोले को जिंदा बम करार दिया था. जिस स्थान पर यह गोला मिला वह चंडीगढ़ के अंतर्गत आता है और चंडीगढ़-पंजाब सीमा के करीब है. यह गोला नयागांव-कंसल तिराहे के पास आम के बगान में सोमवार को मिला था. यह स्थान हेलीपैड से एक किलोमीटर और पंजाब व हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के आधिकारिक आवास से दो किलोमीटर दूर है.


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