Chandigarh News: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ ने एक बड़ा ऐतहासिक फैसला सुनाया है. जिससे देश में अंगदान को अब बढ़ावा मिलने वाला है. कोर्ट ने ऐसे दो लोगों को किडनी बदलने की इजाजत दी है. जिनका नजदीक में कोई संबंध नहीं है. 


देश में अंगदान को लेकर एक कानून बनाया गया है कि किडनी प्रत्यारोपण के लिए नजदीकी रिश्तेदार होना जरूरी है. पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब अंगदान से जुड़े कानून पर अब एक व्यापक असर होने वाला है. हाईकोर्ट के न्यायधीश विनोद एस भारद्वाज ने अंबाला निवासी अजय कुमार और एक अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह ऐतहासिक फैसला सुनाया है.
जान बचाने के लिए कानूनी दावपेंच आड़े ना आए


न्यायधीश विनोद एस भारद्वाज का कहना है कि किसी व्यक्ति की जान बचाने के लिए कानूनी दावपेंच भी अगर सामने आये तो उसमें फंसना सही नहीं है. और वो भी जब तब किडनी प्रत्यारोपण के लिए पैसे के लेनदेन की संभावना को पूरी तरह खत्म कर दिया गया हो. ऐसे में किसी की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए. न्यायधीश विनोद एस भारद्वाज ने कहा कि अब अनुच्छेद 21 कदम उठाएगा और न्याय सहायता के लिए आएगा. भारद्वाज ने कहा कि न्यायसंगत क्षेत्राधिकार के तहत कानून में अंतर की जांच की जा सकती है. भले ही कानून में किडनी प्रत्यारोपण के लिए नजदीकी रिश्तेदार होना जरूरी है. लेकिन इस तरह की परिभाषा को किसी के प्यार से नहीं आंका जा सकता.


आपकों बता दें कि याचिकाकर्त्ता अजय मित्तल और सैयदुज्जमा किडनी की गंभीर बिमारियों से परेशान है ऐसे में PGIMER चंडीगढ़ ने उन्हें किडनी प्रत्यारोपण की सलाह दी थी. तो सैयदुज्जमा की पत्नी इरफाना खातून अपने पति को किडनी देना चाहती है और अजय मित्तल की मां अरुणा देवी अपने बेटे को किडनी देना चाहती है ऐसे में इरफाना खातून का बल्ड ग्रुप अजय मित्तल से मैच हुआ तो वही अरुणा देवी का बल्ड ग्रुप सैयदुज्जमा से मैच हो गया. तो इरफाना खातून और अरुणा देवी ने अपनी किडनी देने की इच्छा जताई. इस आवेदन को ठुकरा देने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसपर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए दोनों को इसके लिए परमिशन दे दी है. 


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