Haryana News: बेटियां (Girls) भी कुल और गांव का नाम रोशन कर सकती हैं. इसलिए उन्हें कोख में ही नहीं खत्म करना चाहिए. इन्हीं संदेशों ने चरखी दादरी (Charkhi Dadri) के 64 गांवों की तस्वीर बदली और प्रदेश व दूसरे गांवों के लिए मिसाल पेश की. ये सब वो गांव हैं जिनमें जागरुकता के कारण पिछले 9 महीने में लिंगानुपात एक हजार के पार पहुंच गया. वहीं नौसवा ऐसा गांव है जहां बेटों के मुकाबले इस साल आठ गुना अधिक बेटियां जन्मी हैं.
लिंगानुपात 905 से बढ़कर 928
दरअसल महिला बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस साल जिले में 3961 बच्चों ने जन्म लिया. इनमें 2054 लड़के और 1907 लड़कियां हैं. वहीं इस साल जिले का लिंगानुपात 928 है. पिछले पांच सालों की तुलना में दादरी जिले का लिंगानुपात डेढ़ गुना बढ़ा है. पिछले साल जिले का लिंगानुपात 905 था और प्रदेश में जिला दूसरे नंबर पर था. वहीं इस साल लिंगानुपात 905 से बढ़कर 928 पहुंचा है.
तीन गांव में एक भी बेटी नहीं
इस साल की बात करें तो जिले के चार गांवों में एक भी बेटा नहीं पैदा हुआ. जबकि इन गांवों में आठ बेटियों ने जन्म लिया है. वहीं तीन गांव ऐसे जहां पर एक भी बेटी नहीं जन्मी है. जबकि बेटों की संख्या तीन है. नौसवा में एक बेटा व आठ बेटियां जन्मी हैं. इन सबके पीछे महिला बाल विकास विभाग के प्रयास शामिल है. जागरुकता अभियान, बेटियों का आंगनबाड़ी केंद्र पर सामूहिक जन्मदिन मनाना, कन्या जन्म पर जच्चा-बत्ता को सम्मानित करने जैसे प्रयास सहायक साबित हुए.
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