(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Chhath Puja 2023: गुरुग्राम में बड़ी संख्या में पूर्वांचली परिवारों में होगा छठ, प्रशासन ने तैयार करवाए अस्थायी घाट
Chhath Puja 2023 News: हरियाणा के गुरुग्राम शहर में बड़ी संख्या में पूर्वांचल के लोग रहते हैं. उनके घरों में हर साल भव्य तरीके से छठ पूजा का आयोजन किया जाता है. इसमें प्रशासन भी सहयोग करता है.
Gurugram News: दिल्ली से सटे साइबर सिटी गुरुग्राम (Gurugram) में पूर्वांचल के रहने वाले छठ (Chhath) महापर्व की तैयारी कर रहे हैं जिसकी शुरुआत 17 नवंबर को हो रही है. इस पर्व को मनाने के लिए पिछले कई दिनों से पूर्वांचल की संस्थाएं तैयारियां में जुटी हैं. स्थानीय लोग और जिला प्रशासन भी इस त्योहार को लेकर सहयोग कर रहे हैं. त्योहार के लिए जगह-जगह अस्थायी घाट (Chhath Ghat) बनाए गए हैं. इस बार छठ पूजा (Chhath Puja) समितियों द्वारा पिछले साल के मुकाबले और भी बेहतर तैयारियां की गई हैं. छठ पर्व को लेकर समितियों ने घाटों पर विशेष प्रबंध किए हैं.
शुक्रवार को पहले दिन यानी कि 17 नवंबर को नहाय-खाय के साथ यह पर्व शुरू होगा. हालांकि नहाय-खाय की प्रक्रिया श्रद्धालुओं द्वारा घर पर ही की जाएगी. दूसरे दिन 18 नवंबर को खरना, 19 नवंबर को श्रद्धालु सायंकालीन और 20 नवंबर को प्रात: कालीन सूर्य देव को अर्घ्य देंगे. खरना में श्रद्धालु दूध और गुड़ से बनी खीर खाकर व्रत रखेंगें. उनका यह उपवास 24 घंटे का होगा. भगवान भास्कर (सूर्य देव ) की आराधना के बाद सभी आपस में प्रसाद का वितरण भी करेंगे. संस्थाओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा.
छठ पर्व के बारे में है यह धारणा
छठ पर्व के बारे में कहा जाता है कि पूर्वांचल और बिहार में अनिवार्य रूप से लोग छठ मनाते हैं. इस दिन सभी लोग अपने घरों में एकत्रित होते हैं. छठ पर्व के बारे में यह धारणा है कि यह मुख्य रूप से बिहारवासियों का पर्व है. इसके पीछे कारण यह है कि इस पर्व की शुरुआत अंग राज कर्ण से माना जाता है. अंग प्रदेश वर्तमान भागलपुर है जो बिहार में है. अंग राज कर्ण के विषय में कथा है कि वह माता कुंती और सूर्यदेव की संतान हैं. कर्ण नियमपूर्वक कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य देव की आराधना करते थे और उस समय जरूरतमंदों को दान भी देते था. माना जाता है कि कार्तिक शुक्ल षष्ठी और सप्तमी के दिन कर्ण सूर्यदेव की विशेष पूजा किया करते थे.
पूजा सामग्री
पूजा में श्रद्धालुओं द्वारा साड़ी या धोती, बांस की टोकरी, बांस या पीतल का सूप, गिलास, लोटा, थाली, दूध, गंगा जल, नारियल, धूपबत्ती, कुमकुम, बत्ती ,पारंपरिक सिंदूर, चौकी, केले के पत्ते, शहद, मिठाई, गुड़, गेहूं और चावल का आटा, चावल, एक दर्जन मिट्टी के दीपक, पान-सुपारी, गन्ना, शकरकंदी, सुथनी, केला, सेव, सिंघाड़ा, हल्दी, मूली और अदरक का पौधा आदि का इस्तेमाल किया जाता है.
श्रद्धालुओं के लिए अस्थायी घाट बनाया गया
श्रद्धालुओं के लिए स्थायी और अस्थायी छट घाटों का निर्माण भी किया गया है. शीतला माता मंदिर पार्किंग, सेक्टर 45 कन्हई गांव, मनकेश्वर मंदिर, झोंपड़ी वाला शिव मंदिर, कादीपुर, मारुति कुंज, बसई जोहड़, सैक्टर 102 सनसिटी एवेन्यू, न्यू पालम विहार, राजेंद्रा पार्क, सूरत नगर, एकता वाली गली और गोदरेज के खाली प्लाट में छठ घाट बनाए गए हैं, जहां श्रद्धालु अस्ताचलगामी और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दे सकेंगे. हाईराइज सोसायटी परिसर में भी अस्थायी घाटों का निर्माण किया गया है. जहां श्रद्धालु उगते हुए सूर्य को अध्य दे सकेंगे. (राजेश यादव की रिपोर्ट)
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