Punjab News: पंजाब मंत्रिमंडल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से गुरबानी का निशुल्क सीधा प्रसारण सुनिश्चित करने के लिए ब्रिटिश काल के सिख गुरुद्वारा अधिनियम में संशोधन को सोमवार को मंजूरी दे दी. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब विधानसभा के दो दिवसीय सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को इस संबंध में विधेयक पेश किया जाएगा. वर्तमान में, स्वर्ण मंदिर से गुरबानी का प्रसारण ‘पीटीसी’ द्वारा किया जाता है, जो एक निजी चैनल है जिसे अकसर शिरोमणि अकाली दल के बादल परिवार से जोड़ा जाता है. 


एसजीपीसी ने सरकार के फैसले का किया विरोध
सिखों के शीर्ष धार्मिक निकाय ‘शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी’ (एसजीपीसी) ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि 1925 का अधिनियम एक केंद्रीय कानून है और इसे केवल संसद द्वारा ही संशोधित किया जा सकता है. हालांकि पंजाब के मुख्यमंत्री मान ने कहा कि राज्य सरकार इस अधिनियम में संशोधन करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है क्योंकि उच्चतम न्यायालय हरियाणा के लिए एक अलग गुरुद्वारा कमेटी के मुद्दे पर पहले ही फैसला सुना चुका है कि यह अधिनियम कोई अंतर-राज्य अधिनियम नहीं, बल्कि एक राज्य अधिनियम है. 


सिख गुरुद्वारा अधिनियम संशोधन
एक आधिकारिक बयान के अनुसार मुख्यमंत्री मान ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने सिख गुरुद्वारा अधिनियम में धारा 125ए जोड़कर संशोधन करने का फैसला किया है, जिससे यह एसजीपीसी की जिम्मेदारी बन जाएगी कि वह श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) से पवित्र गुरबानी का ‘निशुल्क’ सीधा प्रसारण सुनिश्चित करे. मान ने कहा कि इस संशोधन को इस उद्देश्य से मंजूरी दी गई है कि पूरी मानवता मुफ्त में गुरबानी का सीधा प्रसारण सुन और देख सके. 


धामी ने फैसले की निंदा की
इस बीच, एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने सोमवार को आप सरकार के कदम की कड़ी निंदा की. धामी ने अमृतसर में मीडिया से कहा कि अधिनियम में कोई भी संशोधन केवल एसजीपीसी के ‘जनरल हाउस’ (आम सभा) की सिफारिशों के तहत संसद के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा किया जा सकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि भगवंत मान दिल्ली में अपनी पार्टी के नेतृत्व को 'खुश' करना चाहते हैं और दावा किया कि ‘‘सिखों के धार्मिक मामलों को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है. 


अकाली दल ने भी जताया विरोध
शिरोमणि अकाली दल ने भी इस कदम को लेकर आप सरकार पर निशाना साधा. शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने इसे ‘‘पंथ पर सीधा हमला’’ बताया. हालांकि, मान ने दावा किया कि यह निर्णय दुनिया भर में ‘सिख संगत’ की भावनाओं के अनुरूप है. मुख्यमंत्री ने इसे 'सभी के कल्याण' के सार्वभौमिक संदेश को फैलाने के उद्देश्य से दुनिया भर में 'सरब सांझी गुरबानी' का प्रसार करने के लिए समय की आवश्यकता बताया. मान ने कहा कि नये अधिनियम को सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 2023 कहा जाएगा और यह आधिकारिक राजपत्र में इसके प्रकाशन की तारीख से लागू होगा. 


सीएम मान का बादल से सवाल
मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिनियम के अनुसार यह बोर्ड (एसजीपीसी) का कर्तव्य होगा कि वह गुरुओं की शिक्षाओं को प्रचारित करने के लिए श्री हरमंदिर साहिब से गुरबानी को निर्बाध (बिना किसी विज्ञापन/विज्ञापन/विरूपण के) लाइव फीड (ऑडियो और वीडियो) बनाकर सभी मीडिया घरानों, प्रतिष्ठानों, मंचों, चैनलों आदि के लिए निःशुल्क उपलब्ध कराये, जो भी इसे प्रसारित करना चाहते हैं. मान ने कहा कि एक विनम्र और धार्मिक सिख के तौर पर वह दुनिया भर में गुरबानी के ‘फ्री-टू-एयर’ प्रसारण के समर्थक हैं. मान ने कहा, ‘‘सुखबीर सिंह बादल को स्पष्ट करना चाहिए कि वह इस कदम का विरोध शिअद प्रमुख के तौर पर कर रहे हैं या उस चैनल के मालिक के तौर पर. मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे समय से एसजीपीसी के मामलों में एक परिवार का दबदबा रहा है, जिससे सिख पंथ को अपूरणीय क्षति हुई है. 


क्यों नहीं हुआ गुरबानी का फ्री टू एयर’ प्रसारण
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘इस परिवार ने गंदा खेल खेलते हुए गुरबानी के विशेष प्रसारण अधिकार अपने चैनल को देकर सिखों की धार्मिक भावनाओं को भुनाने की कोशिश की, जबकि 1925 के अधिनियम में प्रसारण शब्द का कोई उल्लेख नहीं था. मान ने कहा, 'हरमंदिर साहिब से गुरबानी के प्रसारण के अधिकार 2012 में 11 साल की अवधि के लिए खरीदे गए थे. जब हमने यह मुद्दा उठाया कि गुरबानी का प्रसारण ‘फ्री टू एयर’ क्यों नहीं हो रहा है, एसजीपीसी ने कहा कि निविदाएं मंगाई जाएंगी. उन्होंने कहा कि चैनल के साथ समझौता जुलाई, 2023 में खत्म हो रहा है. उन्होंने कहा हमने शीर्ष वकीलों से सलाह ली ताकि मौजूदा समझौते को एक और दशक तक दोहराया न जाए. 


जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाने पर भी बोले मान
एसजीपीसी प्रमुख धामी ने कहा कि भगवंत सिंह मान को 'दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का 'सूबेदार' होने के बजाय पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में राज्य के विकास के बारे में बात करनी चाहिए. धामी ने कहा कि इस साल जुलाई में जी-नेक्स्ट मीडिया (पीटीसी चैनल) के साथ गुरबानी प्रसारण के अधिकार खत्म होने के बाद एसजीपीसी की उपसमिति इस संबंध में अगली व्यवस्था के लिए काम कर रही है, जिसके ''सार्थक'' परिणाम जल्द सामने आएंगे. मुख्यमंत्री मान ने कहा कि पिछले 11 साल में एसजीपीसी के चुनाव नहीं हुए हैं उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि 'एसजीपीसी के कार्यवाहक अध्यक्ष' श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यवाहक जत्थेदार को सिर्फ इसलिए हटा रहे हैं क्योंकि वह 'एक विशेष परिवार के अनुसार व्यवहार नहीं कर रहे हैं. 


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