Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने विपक्षी दलों के नेताओं को बहस के लिए खुली चुनौती दी थी. इसके बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने सीएम मान को जमकर घेरा था. मामले को लेकर एक बार फिर सीएम मान ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट किया है. उन्होंने पोस्ट कर लिखा कि 1 नवंबर को लुधियाना (Ludhiana) में होने वाली डिबेट का नाम 'मैं पंजाब बोलदा हां' होगा. दोपहर 12 बजे पंजाब की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां, जो अब तक सत्ता में रही हैं, अपना पक्ष रखेंगी. हर पार्टी को 30 मिनट का समय मिलेगा. पंजाबियों को डिबेट में पहुंचने के लिए खुला निमंत्रण है, पंजाब मांगे जवाब.


दरअसल, सीएम मान ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा था, "बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुनिल जाखड़, अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल और कांग्रेस के राजा वडिंग-प्रताप बाजवा को मेरा खुला निमंत्रण है कि रोज-रोज की किच-किच के बजाय एक बार आएं और पंजाबियों के साथ ही मीडिया के सामने बैठकर पंजाब को अब तक किसने कैसे लूटा, भाई-भतीजे, साले-जीजे, मित्र-मुलाहजे, टोल-प्लाजे, जवानी-किसानी, व्यापार-दुकानदार, गुरुओं की बाणी, नहरों का पानी. सभी मुद्दों पर लाइव बहस करें."


'मैं मुंह जबानी बोलूंगा'


सीएम मान ने आगे कहा था, "आप अपने साथ कागज भी ला सकते हो पर मैं मुंह जबानी बोलूंगा.1 नवंबर 'पंजाब दिवस' वाला दिन ठीक रहेगा, आपको तैयारी के लिए समय भी मिल जाएगा. मेरी तो पूरी तैयारी है क्योंकि सच बोलने के लिए रट्टे नहीं लगाने पड़ते." सीएम मान के इस पोस्ट के बाद बीजेपी, कांग्रेस और अकाली दल के नेताओं ने सीएम मान पर जमकर निशाना साधा था.



विपक्षी नेताओं ने चुनौती को किया था स्वीकार


सीएम मान की इस चुनौती की बाद विपक्षी दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया भी आई थी. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा था कि हम मुद्दे पर बहस के लिए तैयार हैं. इसके साथ ही उन्होंने आम आदमी पार्टी पर एसवाईएल मुद्दे पर राज्य के हितों की रक्षा करने में विफल होने का आरोप भी लगाया था. वहीं अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने सीएम मान की चुनौती को स्वीकार करते हुए कहा था कि अरविंद केजरीवाल को भी बुलाया जाए क्योंकि आप सिर्फ मोहरा हो केजरीवाल पंजाब के असली मुख्यमंत्री हैं.


प्रताप सिंह बाजवा ने क्या कहा था?


इसके अलावा सीएम मान की चुनौती पर कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा था कि हमें चुनौती स्वीकार है, बहस किसी सरकारी भवन के बजाय किसी आम जगह पर होनी चाहिए. इसके साथ ही इस बहस का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या ऐसे व्यक्ति की ओर से किया जाना चाहिए.


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