Ajnala Incident: अजनाला हिंसा पर पहली बार बोले सीएम भगवंत मान, कहा- 'मैंने पुलिस को कार्रवाई से रोका'
अजनाला हिंसा और अमृतपाल की गिरफ्तारी को लेकर सीएम भगवंत मान का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि अजनाला हिंसा के दौरान उनकी तरफ से खुद पुलिस को प्रदर्शनकारी पर कार्रवाई करने से रोका गया था.
Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का पहली बार अजनाला हिंसा को लेकर बयान सामने आया है. सीएम मान ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान कहा कि अजनाला हिंसा के दौरान जब उन्हें पता चला था कि अमृतपाल और उसके समर्थक श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को ढाल बनाकर थाने को घेर रहे है तो उनकी तरफ से कहा गया कि किसी भी हालत में गुरु साहिब की बेअदबी नहीं होनी चाहिए. इसके लिए पुलिस किसी तरफ से कोई कार्रवाई ना करें.
लेकिन फिर लोगों ने इसको लेकर सवाल उठाए कि अजनाला थाने पर हमला हुआ लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया. फिर लोगों को सच्चाई का पता चला कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी से बचने के लिए पुलिस ने ऐसा किया तो लोगों ही पुलिस की तारीफ की.
अमृतपाल का सरेंडर या फिर गिरफ्तारी?
सीएम भगवंत मान ने अमृतपाल की गिरफ्तारी और सरेंडर को लेकर उठ रहे सवाल का भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें रात को ही जानकारी मिल गई थी कि अमृतपाल रोड़े गांव पहुंच सकता है. जिसके बाद उनकी तरफ से कहा गया है पुलिस को कहा गया कि अगर वो पहले ही रोड़े गांव पहुंच जाएंगे, तो अमृतपाल वहां कभी नहीं आएगा. इसलिए उनकी तरफ से पुलिस को सादी वर्दी में रहने के लिए कहा गया, फिर उन्हें सूचना मिली कि अमृतपाल सुबह के करीब साढ़े 3 से 4 बजे के बीच रोड़ गांव पहुंचा और गुरुद्वारे के अंदर चला गया. सीएम मान ने बताया कि उनकी तरफ से पुलिस को हिदायत दी गई कि वो गुरुद्वारे के अंदर ना जाए, ना ही गोली चलाएं, अमृतपाल को मैसेज भेजा गया कि वो अब भागकर कहीं नहीं जा सकता, इसके बाद अमृतपाल गुरुद्वारे से बाहर आया और पंजाब पुलिस उसे अपनी गाड़ी में बैठाकर ले आई. सीएम मान ने कहा कि आप इसे अब सरेंडर या गिरफ्तारी कुछ भी कह सकते है.
36 दिन बाद हुई थी अमृतपाल की गिरफ्तारी
आपको बता दें कि अजनाला पुलिस थाने पर हमले के बाद अमृतपाल सिंह पुलिस के रडार पर आ गया था. 18 मार्च को जब पुलिस उसे गिरफ्तार करने गई तो वो फरार हो गया था. पंजाब पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए पंजाब, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान में सर्च अभियान चलाये. आखिरकार 36 दिन बाद 23 अप्रैल को मोगा जिले के रोड़े गांव से गिरफ्तार किया. अमृतपाल और उसके 9 साथी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किए गए है. उनको अब असम की डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया है.
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