Haryana News: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को कहा कि सतलुज यमुना सम्पर्क (SYL) नहर पर उच्चतम न्यायालय के निर्देश का अनुपालन किया जाना चाहिए. सीएम खट्टर का यह बयान पंजाब के उनके समकक्ष भगवंत मान की टिप्पणी पर आया है जिन्होंने कहा था कि एसवाईएल नहर बनाने का सवाल ही नहीं है क्योंकि राज्य के पास साझा करने के लिए एक बूंद पानी नहीं है. सीएम खट्टर ने कहा उच्चतम न्यायालय जब अपना फैसला देता है तो इसका मतलब यह नहीं होता कि इससे किसी के रवैये में बदलाव आएगा या नहीं. 


‘उच्चतम न्यायालय के निर्देश का पालन करना होगा’
सीएम खट्टर से जब पूछा गया था कि पंजाब ने दावा किया है कि उसके पास अतिरिक्त पानी नहीं है और क्या एसवाईएल नहर मुद्दे पर शीर्ष अदालत की हालिया टिप्पणियों के मद्देनजर उसके रवैये में कोई बदलाव आएगा. तो इसपर उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश का पालन करना होगा. उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से पंजाब में भूमि के उस हिस्से का सर्वेक्षण करने के लिए कहा था जिसे राज्य में नहर के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था. इसके एक दिन बाद गुरुवार को पंजाब मंत्रिमंडल ने कहा कि नहर बनाने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि राज्य के पास किसी अन्य राज्य के साथ साझा करने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है.


‘पंजाब का रवैया हमेशा से अड़ियल रहा है’
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए, शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने शुक्रवार को कहा कि पंजाबी और उनकी पार्टी राज्य से हरियाणा में पानी की एक बूंद भी नहीं जाने देंगे. बादल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार पर एसवाईएल नहर मुद्दे पर पंजाब के हितों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया. वहीं हरियाणा में सीएम खट्टर ने कहा कि उनका राज्य हमेशा आपसी बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने के पक्ष में रहा है, लेकिन एसवाईएल नहर के निर्माण और पानी के बंटवारे को लेकर पंजाब का रवैया हमेशा से अड़ियल रहा है.


‘घड़ियाली आंसू बहाने का कोई मतलब’
आम आदमी पार्टी की आलोचना करते हुए सीएम खट्टर ने उस पर एसवाईएल मुद्दे पर कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘‘ वे जिस तरह से वे घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, उसका कोई मतलब नहीं है. बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि पंजाब द्वारा एसवाईएल नहर के निर्माण में देरी के कारण न केवल हरियाणा को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि रावी, सतलुज और ब्यास नदियों का अतिरिक्त पानी पाकिस्तान जा रहा है. 


‘बादल ने पंजाब राज्यपाल से की मुलाकात’
वहीं सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में शिअद का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को यहां पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से मुलाकात की और एसवाईएल नहर मुद्दे पर अपनी पार्टी की चिंताओं को उनके समक्ष रखा. मीडिया से बातचीत के दौरान बादल ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को बताया कि कैसे ‘आप’ सरकार ने एसवाईएल नहर मुद्दे पर शीर्ष अदालत में राज्य के हितों की रक्षा करने में विफल रहकर ‘‘पंजाब और पंजाबियों के साथ विश्वासघात किया और उसे तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए. एसवाईएल नहर की परिकल्पना रावी और ब्यास नदियों के पानी के प्रभावी आवंटन के लिए की गई थी। इस परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जानी थी, जिसमें से 122 किलोमीटर का हिस्सा पंजाब में और शेष 92 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा में बनाया जाना था. हरियाणा ने अपने क्षेत्र में परियोजना पूरी कर ली है, लेकिन पंजाब, जिसने 1982 में निर्माण कार्य शुरू किया था, लेकिन बाद में इसे रोक दिया. 


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