Haryana: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने नायब सिंह सैनी की हरियाणा के मुख्यमंत्री पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को केंद्र, हरियाणा सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जी एस संधवालिया और न्यायमूर्ति लपिता बनर्जी की खंडपीठ ने मामले में उनकी प्रतिक्रिया मांगी और सुनवाई की अगली तारीख के लिए 30 अप्रैल की तारीख तय की.


जनहित याचिका दायर करने वाले वकील जगमोहन सिंह भट्टी ने आरोप लगाया कि हरियाणा में नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली नवगठित सरकार ‘‘अवैध और लोकतंत्र के साथ धोखाधड़ी’’ है. जगमोहन सिंह भट्टी ने बताया कि कि उन्होंने अदालत में कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में नायब सिंह सैनी की नियुक्ति अलग-अलग आधारों पर ‘‘अवैध’’ है.


याचिका दायर करने वकील ने और क्या कहा?


जगमोहन सिंह भट्टी ने कहा, "नायब सिंह सैनी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाकर सदन में सदस्यों की संख्या 90 से अधिक कर दी गई है, जो संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के समय सैनी कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद होने के नाते लाभ के पद पर थे. उन्होंने बताया कि उनकी याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने केंद्र, हरियाणा सरकार, निर्वाचन आयोग और हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी किया है. नायब सिंह सैनी ने पिछले सप्ताह नये मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.


बता दें कि हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने कार्यभार संभालने के बाद बीते बुधवार को विधानसभा के विशेष सत्र में शक्ति परीक्षण जीत लिया था. विश्वास प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित हो गया था. इस दौरान व्हिप का उल्लंघन करते हुए, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) से अलग हुए धड़े के तीन विधायक- देविंदर बबली, ईश्वर सिंह और राम कुमार गौतम विधानसभा में तो आए, लेकिन विश्वास मत प्रस्ताव लाए जाने पर सदन छोड़कर चले गए थे.


वहीं कांग्रेस विधायक रघुवीर कादियान ने दावा किया कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूरत है. उन्होंने विश्वास मत के लिए गुप्त मतदान की भी मांग की थी और दावा किया था कि बीजेपी के पांच विधायक प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करेंगे. सैनी ने पांच कैबिनेट सहयोगियों के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.


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