Haryana: नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को हरियाणा के 15वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है. वे कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से सांसद व प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष भी हैं. लेकिन नायब सिंह सैनी बिना विधायक बने 6 महीने से ज्यादा मुख्यमंत्री के पद पर नहीं रह सकते. इसका मतलब है कि 11 सितंबर 2024 तक अगर वे विधायक नहीं बने तो मुख्यमंत्री के पद पर भी नहीं रह सकते. ऐसे में इससे पहले या तो उन्हें विधानसभा की कोई सीट खाली करवाकर वहां से उपचुनाव लड़ना होगा या फिर समय से पहले विधानसभा भंग करनी होगी, लेकिन विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने में एक वर्ष से कम समय बचा है इसलिए कोई उपचुनाव नहीं हो सकता.
इसके अलावा एक ऑप्शन यह भी है कि उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देकर दोबारा शपथ लेनी होगी. लेकिन इसकी संभावना कम ही है. बता दें कि हरियाणा में मौजूद विधानसभा का कार्यकाल 2 नवंबर 2024 तक का ही है. 2019 में चुनाव का नोटिफिकेशन 27 सितंबर को जारी हुआ था. जिसके बाद 21 अक्टूबर को मतदान हुआ और 24 अक्टूबर को मतगणना हुई थी. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि इस बार क्या हरियाणा में समय से कुछ पहले चुनाव की घोषणा हो सकती है.
नायब सिंह सैनी 9 साल पहले बने MLA अब CM
नायब सिंह सैनी पहली बार साल 2014 में नारायण गढ़ विधानसभा से चुनाव जीते थे. इसके बाद उन्होंने साल 2019 में कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. अक्टूबर 2023 में ही बीजेपी ने उन्हें हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का भी विश्वासपात्र माना जाता है. कल हुए सियासी घटनाक्रम के बाद उन्हें बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया. 9 साल के अंदर वे विधायक, सांसद, प्रदेश अध्यक्ष और अब मुख्यमंत्री के पद पर पहुंच गए है.
साढ़े 4 साल बाद टूटा जेजेपी से गठबंधन
2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सिर्फ 41 सीटें ही जीत पाई थी. बहुमत के लिए उसे 5 और विधायकों की जरूरत थी. ऐसे में बीजेपी जेजेपी के साथ गठबंधन किया और उनके 10 विधायकों को साथ लेकर सरकार बनाई. लगभग साढ़े चार साल तक बीजेपी-जेजेपी ने गठबंधन में सरकार चलाई. मंगलवार को बीजेपी ने जेजेपी से गठबंधन तोड़ दिया. इसके बाद निर्दलीय विधायकों को साथ लेकर सरकार बना ली.
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