Bharat Jodo Yatra: भारत जोड़ो यात्रा खत्म होने के पहले कांग्रेस में टूट, पंजाब में बादल ने 'हाथ' छोड़ा, राजस्थान में पायलट के तेवर तीखे
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस मजबूत होने की जगह कमजोर होती दिख रही है. नेताओं के पार्टी छोड़ने से चुनावी राज्य मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस के लिए राह कठिन होती दिख रही है.
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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का भारत पर कितना असर पड़ेगा ये तो समय के गर्भ में है लेकिन कांग्रेस जुड़कर मजबूत होने की जगह टूट रही है और उसके नेता एक-एक कर अलग हो रहे हैं. बुधवार (19 जनवरी) को मनप्रीत बादल ने कांग्रेस छोड़ दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. इतना ही नहीं वह बीजेपी में शामिल भी हो गए. पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दिया था.
चुनावी राज्य एमपी में भी कांग्रेस को झटका
ऐसा नहीं है कि ये स्थिति केवल पंजाब में है. मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी और कांग्रेस के प्रदेश मीडिया विंग केध्यक्ष नरेंद्र सलूजा ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी भी ज्वाइन कर ली. गत वर्ष 25 नवंबर को श्योपुर के पूर्व विधायक ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर 700 लोगों के साथ BJP का दामन थाम लिया. 27 नवम्बर को मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पूर्व विधायक ब्रजबिहारी पटेरिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया, उन्होंने मंत्री भूपेंद्र सिंह के साथ सीएम हाउस पहुंचकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष बीजेपी की सदस्यता ले ली. दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने भारत जोड़ो यात्रा पर ही सवाल खड़े कर दिए थे.
राजस्थान में भी चुनौती
राजस्थान में कांग्रेस पहले से ही 'टूटी' हुई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमा के बीच खाई बढ़ती जा रही है. पायलट समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं. अब कांग्रेस हाईकमान क्या करता है इस पर भी सबकी नजरें होंगी. फिलहाल सचिन पायलट के तेवर सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ बेहद तीखे हैं. पेपर लीक पर सचिन पालयट के बयानों से इसका पता तो चल ही रहा है.
क्या होगा असर?
वैसे तो हर राज्य का चुनाव बड़े दलों के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन कांग्रेस के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश का चुनाव बेहद अहम होने वाला है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कोशिश होगी कि वो वापसी करे तो वहीं राजस्थान में सरकार दोहराने की चुनौती होगी. लेकिन अगर नेता इसी तरह पार्टी छोड़ते रहे और बड़े नेताओं के बीच के संबंध ऐसे ही रहे तो चुनाव में नुकसान हो सकता है.
हालांकि कांग्रेस का कहना है कि वो राजस्थान के विवाद का हल निकाल लेगी और विधानसभा चुनावों में जनता एक बार और मौका देगी. मध्य प्रदेश को लेकर भी कांग्रेस नेताओं का दावा कुछ ऐसा ही है. कांग्रेस की मानें तो शिवराज सरकार ने जनता के भरोसे को तोड़ा है.
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