Haryana Panchayat Election: पंचायत चुनावों का रास्ता साफ होने के साथ ही राज्य की दो प्रमुख पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस ने अप्रत्यक्ष लड़ाई की तैयारी शुरू कर दी है. कोरोना के कारण राजनीतिक गतिविधियों में ज्यादा हलचल तो दिखाई नहीं दे रही है लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने पंचायत चुनावों और नगरपालिका चुनावों के लिए जन संपर्क कार्यक्रम शुरू किए हैं.  इन चुनावों में आम आदमी पार्टी ने भी अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया है. यही नहीं AAP ने पार्टी के चुनाव चिह्न पर ही चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.


पार्टी चुनाव चिह्र पर चुनाव लड़ने से बच रहे अन्य दल
आम तौर पर राजनीतिक दल पीआरआई (पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद) चुनाव पार्टी के प्रतीकों पर नहीं लड़ते हैं, लेकिन उम्मीदवारों को परोक्ष रूप से राजनीतिक दलों द्वारा समर्थन दिया जाता है. सभी दलों के पार्टी कैडर पंचायत चुनाव लड़ते हैं, जिन्हें पार्टी संगठन में एक बड़ी भूमिका निभाने के तौर पर जाना जाता है. इन चुनावों में राजनीतिक दलों की भूमिका स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, लेकिन फिर भी उम्मीदवार आम तौर पर खुद को निर्दलीय कहलाना पंसद करते हैं. पिछले जिला परिषद के चुनावों में बीजेपी ने पार्टी चुनाव चिन्ह पर ही चुनाव लड़ा था.


बीजेपी-जेजेपी के खिलाफ जनता- कांग्रेस


यह कहते हुए कि कांग्रेस आमतौर पर पार्टी के चुनाव चिन्ह पर पंचायत चुनाव नहीं लड़ती है विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने दावा किया कि इस बार जनता भाजपा और जेजेपी सरकार के खिलाफ है. वहीं, बीजेपी के मीडिया प्रभारी संजय शर्मा ने कहा कि वैसे तो अभी  पंचायत चुनाव पार्टी के चुनाव चिह्न पर लड़ने पर कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन हम पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जिला परिषद का चुनाव लड़ने को तैयार हैं.


पंजाब में ऐतिहासिक जीत के बाद AAP के हौंसले बुलंद
जहां भाजपा, जेजेपी और कांग्रेस  पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने पर असमंजस की स्थिति में दिखाई दे रही हैं. वहीं पंजाब में अपनी ऐतिहासिक जीत से उत्साहित आप ने  पहले ही पंचायती राज चुनाव और नगर निगम चुनाव पार्टी के चुनाव चिह्न पर लड़ने की घोषणा कर दी है. आप के उत्तर क्षेत्र सचिव योगेश्वर शर्मा ने कहा, 'हम अपना पहला पंचायत चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और हमें बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार की जनविरोधी नीतियों की पृष्ठभूमि में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है.' इस बीच, भाजपा की गठबंधन सहयोगी जेजेपी ने भी पंचायत चुनावों के लिए जन संपर्क अभियान तेज कर दिया है. इससे ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि वह अकेले चुनाव लड़ सकती है.


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