कांग्रेस को पंजाब विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में मिली हार के बाद भी कांग्रेस की आंतरिक कलह थमने का नाम नहीं ले रही है. इस चुनाव के बाद पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवोजत सिंह सिद्धू द्वारा कांग्रेस नेताओं के साथ पहली बैठक की गई. यह बैठक लुधियाना उत्तर के पूर्व विधायक राकेश पांडे के आवास पर हुई, दो घंटे से अधिक के समय में इस बैठक में एक पूर्व मंत्री सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसियों ने अलग-अलग स्वरों में बात की. इससे साफ नजर आ रहा है कि अभी भी पार्टी में फूट दिख रही है.


सूत्रों की मानें तो इस बैठक में नवोजत सिंह सिद्धू चुप रहे, क्योंकि कई नेतओं ने उनसे सवाल किए. क्योंकि सिद्धू के नेतृत्व में ही पंजाब में कांग्रेस विधानसभा चुनाव लड़ा था. इसलिए इनसे सवाल किए गए कि इस हार का कारण क्या रहा. राकेश पांडे ने कहा कि बैठक में चर्चा की गई थी कि दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान और राज्य कांग्रेस नेतृत्व दोनों के खराब फैसलों से पार्टी की हार हुई है.


इस बैठक में नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में पूरे पंजाब से कुछ पूर्व विधायकों सहित पार्टी के 36 नेताओं ने भाग लिया. जिसमें कांग्रेस के मौजूदा विधायक सुखपाल सिंह खैरा भी बैठक में शामिल हुए, इस बैठक में कांग्रेस की अपमानजनक हार के कारणों पर चर्चा की गई. हालांकि इस दौरान लुधियाना के प्रमुख कांग्रेस नेता नजर नहीं आए, जिसमें पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु का भी नाम है. इस बैठक में शामिल न होने पर उन्होंने कहा कि उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था और सिद्धू के साथ पार्टी कभी नहीं सीखेगी. 


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ये नेता बैठक में शामिल हुए


कांग्रेस की बैठक में शामिल होने वालों में मोहिंदर सिंह कापी (जालंधर), अश्विनी सेखरी (बटाला), नवतेज सिंह चीमा (सुल्तानपुर लोधी), हरविंदर सिंह लड्डी (भठिंडा ग्रामीण), रूपिंदर कौर रूबी (मलौत) सहित राज्य के पूर्व कांग्रेस विधायक शामिल थे. वहीं राकेश पांडे के अलावा, लुधियाना (मध्य) के पूर्व विधायक सुरिंदर कुमार डावर भी इस बैठक में भाग लेने पहुंचे लेकिन वह जल्दी चले गए. कांग्रेस की इस बैठक में लुधियाना जिले के 14 निर्वाचन क्षेत्रों के आठ पूर्व कांग्रेस विधायकों में से सिर्फ दो ने भाग लिया. 


इस दौरान मौजूदा कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों पर केंद्रीय सेवा नियम लागू करने के केंद्र के फैसले की निंदा करने के लिए बैठक की गई. हम इस फैसले के लिए केंद्र के खिलाफ जाएंगे क्योंकि चंडीगढ़ पंजाब का है और यह हमारी पहचान पर हमला है. पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है और पार्टी एकजुट है.