Haryana News: हरियाणा के नूंह जिले में पिछले दिनों साइबर अपराधियों की तलाश में 14 गांवों में 300 जगहों पर छापेमारी की गई. इस दौरान 65 गिरफ्तारियां भी हुई थी. पुलिस जांच में पता चला है कि साइबर क्राइम से जुड़े इन अपराधियों को पहले ट्रेनिंग दी गई थी. पुलिस ने हरियाणा-राजस्थान सीमा के साथ लगते अलवर और भरतपुर जिले के गांवों की ओर इशारा किया है, जहां इन्हें प्रशिक्षित किया गया था. सीमा से लगते ये गांव साइबर क्राइम ट्रेनिंग हब के रूप में उभर रहे है. यहां युवाओं को साइबर चोर बनने की ट्रेनिंग दी जाती है. 


हरियाणा में बना दिया 'नया जामताड़ा'
आपको बता दें कि 27 अप्रैल को पुलिस ने बड़े पैमाने पर साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की थी. 5 हजार पुलिसकर्मियों की 102 पुलिस टीमों ने नूंह जिले के 14 गांवों में छापा मारा था. जांच में सामने आया है कि यहां नकली सिम कार्ड और दस्तावेज़ से बैक खाते खोले गए थे. हरियाणा-राजस्थान सीमा के साथ लगते जिन गांवों में साइबर क्राइम ट्रेनिंग दी जाती है वहां युवा केवल एक लैपटॉप, एक मोबाइल फोन और फर्जी सिमकार्ड के जरिए साइबर क्राइम की ट्रेनिंग लेते है. यहीं नहीं इन प्रशिक्षण सत्रों के लिए ये युवा 10 से 15 हजार रुपए देते है और यहां से ट्रेनिंग के बाद वो  भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बनाने लगते है. 


देशभर में बड़ा नेटवर्क
साइबर क्राइम की ट्रेनिंग देने वालों का देशभर में एक व्यापक नेटवर्क है. वे नौकरी चाहने वालों और प्रवासियों के आईडी कार्ड की व्यवस्था करते है. साथ ही फर्जी सिम कार्ड और अन्य दस्तावेजों के विवरण का भी उपयोग करते है. जांच में सामने आया है कि अधिकांश फर्जी बैंक खाते उत्तर प्रदेश और राजस्थान में खोले गए हैं. प्रशिक्षण लेने के बाद अधिकांश साइबर अपराधी तलहटी में खेतों से काम करते हैं, क्योंकि यहां उनके फोन को ट्रैक कर पाना मुश्किल होता है. यहीं नहीं किसान इन साइबर अपराधियों को प्रति घंटे के आधार पर अपने खेत किराए पर भी देते हैं. 


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