Haryana News: हरियाणा में लिंगानुपात लगातार घटता जा रहा है. हरियाणा में सुधार के लिए सरकार ने तमाम प्रयास किए लेकिन सरकार के प्रयास सफल नहीं हो पा रहे है. प्रदेश के 8 जिलों में सेक्स रेश्यो की अगर बात करें तो इस साल के 6 महीनों के रिकॉर्ड के अनुसार लिंगानुपात लगातार घट ही रहा है. साल 2022 में में जहां प्रति एक हजार लड़कों पर 917 लड़कियां थी अब ये रेश्यो घटकर साल 2023 की पहली छमाही में 906 हो गया है.  


8 जिलों में घटा सेक्स रेश्यो
हरियाणा के 8 जिलों में पिछले 6 महीने में सेक्स रेश्यो ज्यादा घटा है. इसमे से 7 जिले तो एनसीआर में आते है जहां लिंगानुपात 900 से भी नीचे पहुंच गया है. इसके अलावा 12 जिलों में एसआरबी डेटा का निगेटिव ट्रेंड भी दिखाई दिया है. इनमें फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, गुरुग्राम, रोहतक, चरखी दादरी, पलवल, सोनीपत, करनाल, सिरसा, कैथल और नूंह शामिल है. इसके अलावा महेंद्रगढ़, जींद, पंचकुला, फरीदाबाद, रेवाड़ी, अंबाला, यमुनानगर, झज्जर, पानीपत और कुरूक्षेत्र समेत अन्य 10 जिलों में एसआरबी डेटा के अनुसार सुधार बता रहा है.  


आखिर क्यों घट रहा है लिंगानुपात
सवाल ये उठता है कि सरकार के तमाम प्रयासों के बाद आखिर लिंगानुपात क्यों घट रहा है तो इसकी एक बड़ी वजह नर्सों और अंतरराज्यीय एंबुलेंस ऑपरेटर्स मिलीभगत भी है. दूसरी एमटीपी किट की तस्करी की जा रही है. यहीं नहीं जांच के दौरान कई तरह के खुलासे हुए है कि अवैध लिंग निर्धारण परीक्षण के लिए पॉकेट-साइज की अत्याधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीनों का प्रयोग भी किया जा रहा है. ये मशीने वाई-फाई या वायरलेस तकनीक के साथ आती हैं. ये मोबाइल जितनी छोटी होती है और मोबाइल एप्लिकेशन की सहायता चलती है और स्क्रीन पर इमेज दिखाई देती है. वहीं डॉक्टर एकांत जगह में अल्ट्रासाउंड स्कैन करते हैं. अधिकारियों को गुमराह करने के लिए लिंग निर्धारण परीक्षण वाहनों के अंदर भी कर दिया जाता है. 


पड़ोसी राज्यों को जिम्मेदार ठहरा रहे अफसर
राज्य में गिरते लिंगानुपात को देखते हुए अधिकारियों को संदेह है कि पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, नई दिल्ली और राजस्थान हरियाणा के गिरते लिंगानुपात के लिए जिम्मेदार है. गर्भवती महिलाओं को पड़ोसी राज्यों में लिंग परीक्षण के लिए ले जाया जाता है.


साल की अंतिम रिपोर्ट साफ होगी तस्वीर
प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लिंगानुपात को लेकर जो आंकड़ा है अभी 6 माह का ही है. ऐसे में पूरे साल की रिपोर्ट पर ही तस्वीर साफ हो पाएगी कि आखिर लिंगानुपात कितना घटा है कितना नहीं. डेटा में उतार-चढ़ाव होता रहता है. 


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