Punjab Education News: केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन भले ही एक साल पहले समाप्त हो गया, लेकिन इसका असर अभी देखने को मिल रहा है. दरअसल, पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (पीएसईबी) रद्द घोषित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के संघर्ष को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की योजना बना रहा है. इस बात की मांग किसान आंदोलन समाप्ति के बाद से ही प्रदेश के कई शिक्षक संघ करते आए हैं.
आंदोलन को पाठ्यक्रम में शामिल करने से होगा ये फायदा
किसान आंदोलन को स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रमों में शामिल करने को लेकर डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को पीएसईबी के चेयरमैन प्रोफेसर योगराज से मुलाकात की. टीचर्स फ्रंट के चेयरमैन विक्रमदेव सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन ने केंद्र सरकार के दमनकारी रवैये का विरोध किया हमले का विरोध किया था. यही वजह है कि अगर इसे पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाता है तो यह आंदोलन छात्रों को एकजुट रहने की शक्ति के बारे में सिखाएगा. उन्हें लोकतंत्र में नागरिकों के अधिकारों के बारे में जागरूक करेगा. वैसे भी पंजाब के समकालीन इतिहास में कृषि संघर्ष सबसे अहम अध्यायों में एक है. अगर यह स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बन ता है तो छात्र बहुत कुछ सीख सकते हैं.
इन्हें भी करें पाठ्यक्रम में शामिल
टीचर्स फ्रंट ने शहीद भगत सिंह, करतार सिंह सराभा, उधम सिंह, डॉ. बीआर अंबेडकर, बाबा जीवन सिंह, सावित्रीबाई फुले, माई भागो और चार साहिबजादों जैसे भारतीय इतिहास के प्रमुख नामों के जीवन व विचारों को भी स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की मांग की है-
समिति करेगी मांग पर विचार
वहीं, पीएसईबी के चेयरमैन प्रोफेसर योगराज ने मीडियाकर्मियों को बताया कि हम इस मुद्दे पर निष्पक्ष सोच के तहत विद्वानों की एक समिति बनाएंगे- कोई भी निर्णय लेने से पहले, हमें यह मूल्यांकन करने की जरूरत है कि क्या कृषि संघर्ष को पाठ्यक्रम में शामिल करने से छात्रों को मदद मिलेगी.
1 साल से ज्यादा लंबा चला था किसान आंदोलन
बता दें कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दर्जनों किसान यूनियनों ने 26 नवंबर, 2020 को दिल्ली कूच किया था. किसान संगठनों के लोग सिंधु बॉर्डर पर एक साल से ज्यादा समय तक डटे रहे. पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा विवादास्पद कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद ही विरोध बंद किया गया था। पीएम मोदी की अपील के बाद किसानों का यह आंदोलन एक साल बाद समाप्त हुआ. इस दौरान दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों ने पुलिस कार्रवाई सहित कई समस्याओं का सामना किया.
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