Doctors on Monkeypox Virus Symptoms and Treatment: मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) से बीमारी के मामले बढ़ते जा रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) लगातार इससे बचाव के लिए दुनियाभर के देशों को चेता रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोमवार (30 मई) की सुबह तक मंकीपॉक्स के दुनिया के 23 देशों के 257 लोगों को बीमार कर चुका है. चिंता की बात यह है कि इस बीमारी के लक्षण स्मॉलपॉक्स से मिलते जुलते हैं. इसके अलावा इसमें बुखार, सिरदर्द होना आम है. इसलिए कई हार लोगों को देरी से इसकी भनक लग पाती है. इसलिए दुनियाभर के चिकित्सक इसे लेकर लोगों को आगाह कर रहे हैं. चंडीगढ़ के एक जानेमाने त्वचा रोग विशेषज्ञ ने चौंकाने वाली जानकारी दी है और इसे लोगों को लोगों आगाह किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, मानसा देवी कॉम्पलेक्स स्थित नेशनल स्किन हॉस्पिटल के चीफ कंसल्टेंट डॉक्टर विकास शर्मा ने कहा है कि बुखार के दौरान अगर पहले से तीसरे दिन में शरीर पर चकत्ते पड़ने लगे तो इसे नजरअंदाज न करें क्योंकि यह मंकीपॉक्स हो सकता है. डॉक्टर का कहना है कि शरीर की त्वचा इस बीमारी के सबसे प्रमुख संकेत और लक्षण जाहिर कर देती है.
मंकीपॉक्स के लक्षण
डॉक्टर विकास शर्मा ने कहा, ''मंक्सीपॉक्स होने पर सपाट त्वचा का रंग बदलने लगता है, त्वचा पर लाल निशान और गांठें पड़ सकती हैं, यहां तक कि सफेद पस से भरे फफोले शरीर पर पड़ सकते हैं जोकि चिकन पॉक्स की तरह दिखाई देते हैं. हालांकि संक्रमण की रफ्तार कम होने पर फफोले सूखने लगते हैं बाद में खत्म हो जाते हैं.'' उन्होंने कहा कि मंकीपॉक्स चेहरे से फैलना शुरू होता है और कभी कभार मुंह के अंदर छाले से भी यह फैलता है. इसके बाद यह बाहों, हाथों, पैरों और जननांग समेत शरीर के बाकी हिस्सों में फैल जाता है.
चार हफ्ते तक फफोले, ऐसे फैलता है तेजी से
डक्टर का कहना है कि मंकीपॉक्स के फफोले लगभग चार हफ्तों तक शरीर पर रह सकते हैं. ये बेहद संक्रामक होते हैं. इनसे कपड़े और बिस्तर संक्रमित हो जाते हैं. अगर कोई भी इनके सीधे संपर्क में या संक्रमित कपड़ों के संपर्क में आता है तो उसे यह बीमार हो जाती है.
मंकीपॉक्स होने पर इससे बचाव के लिए एंटीवायरल ड्रग दी जाती हैं. डॉक्टरों ने इससे ग्रसित होने पर क्वारंटीन होने का उपाय सुझाया है.
कहां से आया मंकीपॉक्स वायरस
बता दें कि मंकीपॉक्स वायरस का इसके नाम के मुताबिक बंदरों से कोई सीधे लेना-देना नहीं है. इंसानों में इस वायरस का पहला मामला मध्य अफ्रीकी देश (Country in Central Africa) कांगो (Democratic Republic of the Congo) में 1970 में मिला था. 2003 में अमेरिका (United States) में इसके मामले सामने आए थे. इसके पीछे तब घाना (Ghana) से आयात किए गए चूहे कारण बताए गए थे जो पालतू जानवरों की एक दुकान से बेचे गए थे. 2022 में इसका पहला मामला मई के महीने में यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में सामने आया. इसके बाद से यह वायरस यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में पैर पसार चुका है. भारत में फिलहाल मंकीपॉक्स का कोई केस सामने नहीं आया है.
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