(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Faridabad Crime: सूटकेस में मिले महिला के शव का 'श्रद्धा कनेक्शन', दिल्ली पुलिस करा सकती है डीएनए जांच
फरिदाबाद के सूरजकुंड- पाली रोड अरावली के जंगल में एक सूटकेस में शव मिला है. ये शव एक से डेढ़ महीने पुराना बताया जा रहा है. मौके पर से पुलिस को महिला के कपड़े मिले हैं.
Faridabad: फरिदाबाद के सूरजकुंड- पाली रोड पर एक ठेके से लगभग 300 मीटर दूर अरावली के जंगल में एक सूटकेस में एक शव मिला है. इसकी सूचना मिलने पर सुरजकुंड थाने की पुलिस, एसपी और क्राइम ब्रांच की टीम के साथ एफएसएल की टीम भी मौके पर पहुंची. शुरूआती जांच में माना जा रहा है कि ये शव एक महिला का हो सकता है. शव एक से डेढ़ महीने पुराना बताया जा रहा है. बाकी बातें पोस्टमार्टम के बाद ही सामने आएंगी. शुरूआती जांच- पड़ताल में पुलिस को मौके से महिला के कपड़े मिले हैं. सुरजकुंड पुलिस की सूचना के बाद दिल्ली पुलिस भी पहुंची. पुलिस अब शव के अन्य हिस्सों को जंगल में तलाश रही है.
पुलिस इस शव को श्रद्धा केस से जोड़कर भी देख रही है. माना जा रहा है कि दिल्ली पुलिस शव का डीएनए टेस्ट भी करा सकती है.
युवक ने दी पुलिस को सूचना
पुलिस के प्रवक्ता सूबे सिंह ने बताया कि अमीपुर के एक युवक ने पुलिस को सूचना दी कि अरावली के जंगल में एक नीले रंग के सूटकेस से बहुत बदबू आ रही है. सुचना मिलने पर जब सूरजकुंड पुलिस ने सूटकेस खोला तो उसमें सीमेंट का बोरा मिला. उस बोरे में कंकाल भरा था.
पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाएगा शव
पुलिस सुत्रों के मुताबिक शुरूआती जांच में ये शव किसी महिला का होने का अंदेशा है. कंकाल को देखते हुए इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि शव के कई टुकड़े किए गए होंगे. कंकाल के ऊपर और नीचे के हिस्से गायब हैं. पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम के लिए शव को मेवात के नल्हड़ या रोहतक पीजीआई भेजा जाएगा. उसके बाद ही ये बात साफ हो पाएगी कि ये शव महिला का है या पुरुष का.
पुलिस कर रही जांच
शव में किड़े पड़ने के चलते वो कंकाल बन गया है. ऐसे में ये पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि शव किसका है. पुलिस का कहना है कि अपराधी ने हत्या कहीं और की और शव को यहां अरावली के जंगल में फेंक दिया. पुलिस इस मामले में तमाम बिंदुओं की जांच कर रहीं है. प्रवक्ता ने बताया कि पुलिस सड़क की ओर जाने वाले रास्तों पर लगे सीसीटीवी कैमरों का पता लगा रही है. अगर कोई कैमरा मिलता है तो उसके एक से डेढ़ महीने की फुटेज की जांच की जाएगी.