Faridkot Property Case: देश की सबसे बड़ी अदालत, 30 साल की लड़ाई, अब फरीदकोट महाराजा की संपत्ति पर हुआ यह फैसला
फरीदकोट महाराजा हरिंदर सिंह बराड़ की 25,000 करोड़ रुपये की संपत्ति में बहुमत उनकी बेटियों अमृत कौर और दीपिंदर कौर को दिया गया था. कोर्ट ने विरासत के लिए 30 साल की लंबी लड़ाई को समाप्त कर दिया
Maharaja Property Case: फरीदकोट के महाराजा (Faridkot Maharaja Case) की लगभग 25 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अंतिम फैसला दे दिया. कोर्ट ने माना कि इस संपत्ति पर स्वर्गीय महाराजा हरिंदर सिंह की बेटियों राजकुमारी अमृत कौर और दीपिन्दर कौर का अधिकार है. दीपिन्दर कौर की भी मौत 2018 में हो चुकी है.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत और हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. महाराजा की तरफ से कथित तौर पर 1982 में बनाई गई एक वसीयत के आधार पर अब तक संपत्ति पर नियंत्रण कर रहे महारावल खीवाजी ट्रस्ट को सुप्रीम कोर्ट ने भंग कर दिया है. 30 सितंबर के बाद से अमान्य होगा. कोर्ट ने माना कि जिस वसीयत के आधार पर ट्रस्ट की संपत्ति पर कब्ज़ा था, वह वसीयत फर्जी थी.
मामला क्या है?
इस मामले में मुख्य रूप से विजेता अमृत कौर हैं, क्योंकि महारावल खीवाजी ट्रस्ट को दीपिन्दर कौर के बच्चे ही चला रहे थे. अमृत कौर ने पिता की इच्छा से शादी नहीं की थी. इस वजह से पिता ने उन्हें बेदखल करने की बात कही थी, लेकिन अमृत कौर ने कोर्ट में कहा था कि संपत्ति का अधिकतर हिस्सा पुश्तैनी है, उन्हें उससे वंचित नहीं किया जा सकता. निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सबने माना कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के तहत अमृत कौर संपत्ति में हिस्सेदार हैं.
35 साल पुराने कानूनी मामले का हुआ अंत
चीफ जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एस रविन्द्र भाट और सुधांशु धूलिया के फैसले से लगभग 35 साल पुराने कानूनी विवाद का अंत हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि फरीदकोट रियासत के अस्तित्व में रहने के दौरान बने नियम इस मामले में लागू नहीं होंगे. इस मामले में हिंदू उत्तराधिकार कानून लागू होगा. महाराजा की 4 संतानों में बेटे हरमोहिंदर सिंह की मृत्यु 1981 में हो गई थी. तीसरी बेटी महीपिंदर कौर भी अविवाहित थीं और उनकी मृत्यु 2001 में हो गई थी. इसलिए, संपत्ति पर राजकुमारी अमृत कौर और दीपिन्दर कौर का अधिकार है.
30 सितंबर तक ट्रस्ट के पास
कोर्ट ने कहा कि ट्रस्ट केवल 30 सितंबर 2022 तक चैरिटेबल अस्पताल चलाने का हकदार होगा. इसके बाद प्रबंधन, वित्त और अन्य नियंत्रण के सभी पहलुओं जिसमें एक रिसीवर की नियुक्ति की आवश्यकता भी शामिल है. ऐसे आदेशों के अधीन होगा. तत्काल मामलों में डिक्री निष्पादित करने वाले न्यायालय द्वारा पारित किया जा सकता है. साल 1989 में दिवंगत हुए राजा हरिंदर सिंह बराड़ की संपत्ति में पंजाब में सैंकड़ों एकड़ जमीन, दिल्ली का फरीदकोट हाउस, फरीदकोट राजमहल, शिमला का मशोबरा हाउस, चंडीगढ़ के मनीमाजरा का एक किला, देश भर के कई शहरों में दर्जनों संपत्ति, निजी विमान, विंटेज कार, सोने के जेवर, बेशकीमती कलाकृतियां, रत्न और हीरे वगैरह शामिल हैं.
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