Farmers Protest 2020: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्र को संबोधित करते हुए, 17 सितंबर 2020 को लागू किए गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया. गौरतलब है कि तीन नए कृषि कानूनों को लेकर पिछले एक साल से देश भर के किसानों द्वारा मुख्य रूप से यूपीस पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था.  


बता दें कि किसानों का तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पिछले साल 25 नवंबर को शुरू हुआ, जब हजारों किसानों ने "दिल्ली चलो" अभियान के हिस्से के रूप में कानून को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च किया था. चलिए जानते हैं इर दौरान अब तक क्या-क्या हुआ?


तीन नए कृषि कानूनों को लेकर हुए आंदोलन में अब तक क्या-क्या हुआ


5 जून 2020: भारत सरकार ने तीन कृषि विधेयकों को संसद के पटल पर रखा था.


14 सितंबर 2020:  संसद में अध्यादेश पेश किया गया.


 17 सितंबर 2020: अध्यादेश को लोकसभा से मंजूरी मिली.


 20 सितंबर 2020: राज्यसभा में भी यह ध्वनिमत से पारित हो गया.


 24 सितंबर 2020:  पंजाब के किसानों ने तीन दिन के लिए रेल रोको आंदोलन किया.


 25 सितंबर 2020: देशभर के किसानों ने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले प्रदर्शन शुरू किया.


27 सितंबर 2020: कृषि कानूनों को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली और इसे गजट में प्रकाशित किया गया.


 25 नवंबर 2020:  राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया गया. पंजाब और हरियाणा के किसानों ने दिल्ली चलो का नारा दिया.


26 नवंबर 2020: दिल्ली आ रहे किसानों को अंबाला में रोकने का प्रयास किया गया. बात नहीं बनी और दिल्ली पुलिस ने संगठनों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति दी.


 28 नवंबर 2020: गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली की सीमाओं को खाली करने के बदले किसानों को बातचीत का निमंत्रण दिया.


 29 नवंबर 2020: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में इन कानूनों और अपनी सरकार को कृषि व किसान हितैषी बताया.


 3 दिसंबर 2020: पहली बार सरकार और किसानों के बीच बैठक हुई, पर बेनतीजा रही.


 5 दिसंबर 2020: दूसरे दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही.


 8 दिसंबर 2020: किसानों ने भारत बंद का आयोजन किया.


 11 दिसंबर 2020: भारतीय किसान यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट में तीनों कृषि कानूनों को चुनौती दी.


 13 दिसंबर 2020: केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने किसान आंदोलन के पीछे टुकड़े-टुकड़े गैंग की साजिश होने की बात कही.


21 दिसंबर, 2020: किसानों ने सभी विरोध स्थलों पर एक दिवसीय भूख हड़ताल की.


30 दिसंबर 2020: सरकार और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की बातचीत में कुछ प्रगति हुई क्योंकि केंद्र ने किसानों को पराली जलाने के जुर्माने से छूट देने और बिजली संशोधन विधेयक, 2020 में बदलाव को छोड़ने पर सहमति व्यक्त की.


4 जनवरी  2021: सरकार और किसान नेताओं के बीच सातवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही क्योंकि केंद्र कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए सहमत नहीं था.


7 जनवरी.2021: सुप्रीम कोर्ट 11 जनवरी को नए कानूनों और विरोध के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमत हुआ.


11 जनवरी  2021: सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के विरोध से निपटने के लिए केंद्र को फटकार लगाई. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह गतिरोध को हल करने के लिए भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करेगी.


12 जनवरी 2021: सुप्रीम कोर्ट ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी और सभी हितधारकों को सुनने के बाद कानूनों पर सिफारिशें करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया.


26 जनवरी  2021: गणतंत्र दिवस पर, कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर 26 जनवरी को किसान संघों द्वारा बुलाई गई ट्रैक्टर परेड के दौरान हजारों प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए. सिंघू और गाजीपुर के कई प्रदर्शनकारियों द्वारा अपना मार्ग बदलने के बाद, उन्होंने मध्य दिल्ली के आईटीओ और लाल किले की ओर मार्च किया, जहां पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया, जबकि कुछ किसानों ने सार्वजनिक संपत्ति में तोड़फोड़ की और पुलिस कर्मियों पर हमला किया. लाल किले पर, प्रदर्शनकारियों का एक वर्ग खंभों और दीवारों पर चढ़ गया और निशान साहिब का झंडा फहराया. हंगामे में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई.


19 नवंबर 2021: पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की बात कही.


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