कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) ने कहा है कि जो कानून बना सकता है वो रद्द भी कर सकता है. उन्होंने कहा कि संसद (Parliamanent) सुप्रीम है. कांग्रेस (Congress) के इस दिग्गज नेता ने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी (farm laws repeal) का फैसला इतनी देरी से लिया गया है. लेकिन यह चुनाव का मुद्दा तो होता ही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने जो ऐलान किया है, वो देर से ही लिया गया. लेकिन सही फैसला है. उन्होंने कहा कि अगर यह फैसला पहले आ जाता तो इतना नुकसान नही होता. उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की है तो कानून वापस लिए ही जाएंगे, इसमें शक नहीं है.


किसानों की लड़ाई पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ने क्या कहा


हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ने शनिवार को दिल्ली में कहा कि किसान अपनी लड़ाई खुद लड़ रहे थे. उन्होंने इतना लंबा संघर्ष किया. इसके लिए उन्हें किसानों को मुबारकबाद. उन्होंने कहा कि देश के सभी विपक्षी दलों का समर्थन किसानों को था.


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उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश को संबोधित किया था. इस दौरान उन्होंने बताया था कि सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है. उन्होंने कहा था कि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया इस महीने के अंत में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में शुरू की जाएगी. प्रधानमंत्री ने किसानों से माफी भी मांगी थी. 


प्राइवेट मंडियों के लिए एमएसपी की मांग की


हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अनाज की प्राइवेट मंडियों में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) होना चाहिए. उन्होंने कहा कि एमएसपी से कम रेट पर अगर कोई खरीदे तो सजा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि किसानों से बातचीत कर सरकार को कृषि को लाभदायक बनाना चाहिए. कांग्रेस नेता ने कहा कि देश का किसान कर्ज में डूबा हुआ है. उन्होंने कहा कि एमएसपी तय करते समय स्वामीनाथन कमेटी के सी2 फार्मूला को लागू किया जाना चाहिए. 


हुड्डा ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान कई किसानों की जान भी गई है. उन्होंने मांग की कि जिन किसानों की मौत बॉर्डर पर हुई है, उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाए. सरकार को ऐसे किसानों के परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी देनी चहिए. उन्होंने कहा कि यह पंजाब ने तो कर दिया है और अब हरियाणा सरकार को भी ऐसा करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हरियाणा में किसानों को उनकी फसल पर एमएसपी नहीं मिल रही है. उन्होंने कहा कि आंदोलन खत्म करने या न करने का फैसला तो किसानों को ही करना है. 


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