संयुक्त किसान मोर्चा (Sanukat Kisan Morcha) की कोर कमेटी की बैठक शुरू हो गई है. नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) के कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का नेतृत्व यही मोर्चा कर रहा था. इस मोर्चे में किसानों के 42 किसान संगठन शामिल हैं. शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त (Farm laws Repeal) करने की घोषणा की थी. दिल्ली-हरियाणा के सिंधु बॉर्डर पर हो रही इस बैठक में किसान आंदोलन के आगे की रणनीति और किसानों की एक और प्रमुख मांग एमएसपी पर कानून पर चर्चा होगी.
सिंघु बॉर्डर पर हो रही संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख नेताओं की 9 सदस्यीय कमिटी की बैठक के बाद पंजाब के किसान संगठनों की और सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी. इसके बाद किसान नेता स्पष्ट करेंगे कि आंदोलन की आगे की रूपरेखा क्या होगी और दिल्ली की सीमाओं पर साल भर से जमे किसान कब हटेंगे.
आज केवल एमएसपी पर ही होगी चर्चा
बैठक से पहले 'स्वराज इंडिया' के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने एबीपी न्यूज़ से एक खास बातचीत की. उन्होंने बताया, ''आज सिर्फ किसान संयुक्त मोर्चा के कोर कमेटी की बैठक है. कल बड़ी बैठक होगी जिसमें 42 किसान संगठन शामिल होंगे. आज की बैठक में एमएसपी पर चर्चा होगी. ''
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी. किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री की इस घोषणा का स्वागत करते हुए एमएसपी पर कानून बनाने की मांग की थी. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा था, ''हम तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं, इस घोषणा के संसदीय प्रक्रियाओं के जरिए पूरा होने तक इंतजार करेंगे. आंदोलन सिर्फ नए कृषि कानूनों के खिलाफ ही नहीं था, फसलों के लाभकारी मूल्य की वैधानिक गारंटी की मांग अब भी लंबित हैं.''
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से मांगी माफी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश को संबोधित करते हुए कहा था कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी और एमएसपी से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए समिति बनाई जाएगी. उन्होंने कहा था, ''इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को रिपील (निरस्त) करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे.’’
प्रधानमंत्री ने कहा था, ''मैं देशवासियों से माफी मांगते हुए सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी जिसके कारण दिए के प्रकाश जैसा सत्य खुद किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए.''