Farmer Protest: तीन कृषि कानून को निरस्त करने वाले बिल के संसद में पास होने के बाद किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे एसकेएम में टूट साफ तौर पर देखी जा रही है. पंजाब की अधिकतर जत्थेबंदियां आंदोलन खत्म कर वापस जाने के पक्ष में हैं. वहीं गुरनाम सिंह चढूनी समेत कुछ बड़े किसान नेता एमएसपी समेत बाकी मांगों के पूरे होने तक आंदोलन को चला कर रखना चाहते हैं. एसकेएम की ओर से आंदोलन पर फैसला लेने को लेकर 1 दिसंबर को एमरजेंसी मीटिंग बुलाई गई है.
एक साल से चल रहे आंदोलन में अब किसानों के बीच आंदोलन खत्म करने को लेकर अलग-अलग राय सामने आने लगी है. किसानों का एक धड़ा आंदोलन खत्म करने को लेकर अगुवाई कर रहा है तो कुछ नेता अपनी अन्य मांगों पर आंदोलन को जारी रखना चाहते हैं. बीकेयू 'कादियान' के अध्यक्ष हरमीत सिंह कादियान ने बताया कि ''एक दिसंबर को एसकेएम की बैठक होगी. इसके बाद आगे की रणनीति पर फैसला लिया जाएगा.''
हालांकि 1 दिसंबर को होने वाली बैठक के अलावा एसकेएम ने 4 दिसंबर को अपनी अगली बैठक बुलाई हुई है. सिंघु बॉर्डर पर आज की बैठक के बाद नेताओं द्वारा बताया गया कि ''4 दिसंबर को होने वाली बैठक तय समय पर होगी, लेकिन 1 दिसंबर को एक आपातकालीन विशेष बैठक बुलाई है, इसमें सरकार के साथ अब तक 11 दौर की वार्ता के लिए जाने वाले किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे.''
किसान आंदोलन पर बंटी नेताओं की राय
दरअसल पंजाब किसान संगठनों का मानना है कि ''कानून वापसी के बाद उनकी जीत हो चुकी है. इसलिए अब आंदोलन को जारी रखने को लेकर हम बैठक में तय करेंगे. वहीं किसान यह भी जानना चाहते हैं कि, सरकार की एमएसपी को लेकर क्या योजना है ? वहीं 30 नवंबर तक सरकार से जवाब भी चाहते हैं.''
भारतीय किसान यूनियन के उत्तरप्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने कहा कि ''हम अपने साथ मुकदमे लेकर घर नहीं जाना चाहते हैं, हम सभी किसानों की मांग है कि हमारी इन मांगों को सुना जाए.''
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