Farmer Protest: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन दिवाली के बाद और तेज होने वाला है. आंदोलन में हिस्सा ले रहे किसान संगठनों ने अब आंदोलन को लेकर निर्णायक कदम उठाने के संकेत दिए हैं. ऐसी जानकारी सामने आई है कि आंदोलन से जुड़े हरियाणा के किसान संगठन जल्द ही ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे पर जाम लगा सकते हैं.


हरियाणा के किसान संगठनों की ओर से 7 नवंबर को एक अहम बैठक बुलाई गई है. हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने इस बैठक के बारे में जानकारी दी है. गुरमान सिंह चढूनी ने यह स्वीकार किया है कि अब उनके ऊपर बड़ा फैसला लेने का दबाव है.


आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा पर भी किसानों का दबाव साफ देखने को मिल रहा है. सयुक्त किसान मोर्चा ने 9 नवंबर को सिंघु बॉर्डर पर मीटिंग बुलाने का फैसला किया है. एसकेएम का कहना है कि 9 नवंबर को होने वाली मीटिंग में आंदोलन को आगे बढ़ाने की रणनीति पर विचार किया जाएगा.


निशाने पर हैं किसान संगठन


बता दें कि लखीमपुर में हुई हिंसा के बाद आंदोलन की अगुवाई कर रहे नेता किसानों के निशाने पर हैं. किसान इन नेताओं पर कड़े फैसले नहीं ले पाने का आरोप लगा रहे हैं. अधिकतर किसानों का मानना है कि वह अधिक समय तक ऐसे बॉर्डर पर बैठे नहीं रह सकते हैं और आंदोलन को लेकर निर्णायक फैसला होना चाहिए.


किसान आंदोलन की शुरुआत पिछले साल 26 नवंबर को हुई थी. अब किसान आंदोलन को चलते हुए एक साल पूरा होने को है. 23 नवंबर से संसद का सत्र भी शुरू होने जा रहा है और किसान अब आंदोलन को तेज कर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे. 


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