Farmer Protest: केंद्र की मोदी सरकार ने भले ही तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का एलान कर दिया है. लेकिन मोदी सरकार को लेकर किसानों की नाराजगी कम नहीं हुई है. आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि कानून के खिलाफ चली लड़ाई में हुई 700 किसानों की मौत के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कर दिया है कि उनकी जब तक उनकी सभी मांगें नहीं मानी जाती हैं तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगी.
संयुक्त किसान मोर्चा ने हालांकि पीएम मोदी के तीन कृषि कानून वापस लेने के फैसले का स्वागत किया है. एसकेएम ने बयान जारी कर कहा, ''केंद्र सरकार ने किसानों के विरोधी तीनों कानूनों को वापस ले लिया है. कानून को वापस लेने के लिए मोदी सरकार ने गुरु नानक देव की जंयती का दिन चुना. हम इस फैसले का स्वागत करते हैं.''
बयान में आगे कहा गया, ''हम लोग सरकार के एलान पर संसदीय कार्रवाई का इंतजार करेंगे. अगर ऐसा होता है तो यह एक साल तक चली लड़ाई की शानदार जीत होगी. हालांकि इस दौरान 700 किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी. इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है. इससे बचा जा सकता था. लखीमपुर की घटना से भी बचा जा सकता था.''
किसानों की मांग अभी बाकी
एसकेएम ने पीएम मोदी को याद दिलाया कि आंदोलन सिर्फ तीन कृषि कानूनों के बारे में नहीं था. एसकेएम ने कहा, ''किसान आंदोलन सिर्फ तीन कृषि कानूनों के बारे में नहीं था. इसमें सभी किसानों की सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानून की मांग भी शामिल है. यह मांग अभी बाकी है. हम सारी बातों पर विचार करेंगे और जल्द ही आगे के फैसले की जानकारी देंगे.''
बता दें कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई पिछले साल 26 नवंबर को शुरू हुई थी. पंजाब और हरियाणा से हजारों किसानों ने आकर दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर डेरा जमा लिया था. किसान सर्दी, गर्मी और बारिश सभी मौसम में बॉर्डर पर जमे रहे. मोदी सरकार को आखिरकार किसानों की मांग के आगे झुकना पड़ा और तीन कृषि कानून वापस लेने पड़े.
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