Farmer Protest: तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन का एक साल पूरा होने जा रहा है. इस आंदोलन की शुरुआत पंजाब से हुई थी और 26 नवंबर को पंजाब के किसान दिल्ली के सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर पहुंचे थे. बीते एक साल में किसान आंदोलन पंजाब की सिसायत का सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है. आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने हालांकि साफ कर दिया है कि वह पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Election) में कोई भूमिका नहीं निभाएंगे.


मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की मीटिंग बुलाई गई थी. इस मीटिंग संयुक्त किसान मोर्चा ने पंजाब विधानसभा चुनाव मे कोई भूमिका नहीं निभाने का फैसला किया. बैठक से यह बात भी निकलकर सामने आई कि जल्द ही पंजाब के किसान संगठन खेती के मुद्दों को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मिलेंगे. 


चढूनी से नाराज हैं पंजाब के किसान संगठन


संयुक्त किसान मोर्चा में पंजाब के 32 किसान संगठन शामिल हैं. सूत्रों के हवाले से ये जानकारी मिली है कि पंजाब के किसान संगठन हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी से नाराज हैं. दरअसल, गुरनाम सिंह चढूनी पंजाब की राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले रहे हैं जिस पर इन किसान संगठनों ने आपत्ति जताई है.


बीजेपी को छोड़कर पंजाब की सभी राजनैतिक पार्टियों ने कृषि कानूनों का विरोध जताया है. 11 नवंबर को होने वाले विधानसभा सेशन में तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए प्रस्ताव पास किया जाएगा. पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी दावा कर चुके हैं कि वह तीन कृषि कानूनों को राज्य में लागू नहीं होने देंगे.


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