Punjab News: उत्तर भारत के किसान एक बार फिर बड़े आंदोलन की तैयारी करने में लगे हैं. इस बार आंदोलन कब शुरू होगा और कैसे केंद्र और पंजाब सरकार को घेरा जाएगा, इसको लेकर रणनीति बनाई जा रही है. 18 किसान संगठनों के नेता सोमवार को चंडीगढ़ में इकट्‌ठे हो रहे हैं. बैठक के बाद किसान अपनी आगे की रणनीति के बारे में जानकारी सांझा करेंगे. चंडीगढ़ स्थित किसान भवन में किसानों की बैठक हो रही है. इसके बाद किसान संगठन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आंदोलन की जानकारी देंगे.


किसान नेता न्यूनतम मूल्य को लेकर केंद्र सरकार को घेर सकते हैं. किसान नेताओं का कहना है कि किसान आंदोलन के दौरान जो उनसे वादे किए गए गए थे, वो अभी तक पूरे नहीं किए गए हैं. इसके अलावा किसानों की राज्यों सरकारों से भी कुछ मांगें हैं, जिस पर सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जानकारी दी जा सकती है.


किसानों ने कृषि कानूनों को लेकर किया था आंदोलन


जून, 2020 में बीजेपी की केंद्र सरकार 3 नए कृषि कानून लेकर आई थी, जिसके खिलाफ किसानों ने आंदोलन किया. दिल्ली की सीमाओं पर नवंबर महीने में धरना शुरू किया गया. इस दौरान सरकार से किसानों की कई दौर की वार्ता हुई, लेकिन इससे कोई हल नहीं निकला. किसानों ने 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च भी किया, इसके दौरान लाल किले पर हिंसा भी हुई. आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा और पीएम मोदी ने 19 नवंबर को कानूनों को वापस लेने की घोषणा की. किसानों का आरोप है उस समय उनसे किए गए वादे पूरे नहीं किए गए, इस वजह से उन्हें बार-बार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना पड़ता है.


पंजाब में गन्ने के रेटों को बढ़ाने के लिए किया था प्रदर्शन


बता दें कि अभी कुछ दिन पहले किसानों ने पंजाब में गन्ने के रेट बढ़वाने के लिए भगवंत मान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था. कई हाईवे के अलावा रेलवे ट्रेकों पर भी धरना दिया गया था. इसके बाद सीएम मान किसानों के साथ बैठक की और उन्हें गन्ने के दाम बढ़ाने का आश्वासन दिया, तब जाकर किसान धरने से उठने के लिए राजी हुए थे. 


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