Chandigarh News: पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकारें किसानों को पराली नहीं जलाने पर नकद प्रोत्साहन राशि देने की योजना बना रही हैं और केंद्र सरकार से इसमें लागत साझा करने का अनुरोध किया गया है. राष्ट्रीय राजधानी में अक्टूबर और नवंबर के महीने में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि के पीछे पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा धान की पराली जलाना एक प्रमुख कारण है. गेहूं और आलू की खेती से पहले धान की फसल के अवशेषों को जल्दी से हटाने के लिए किसान अपने खेतों में आग लगा देते हैं.


केंद्र को भेजा गया प्रस्ताव
पंजाब में सालाना लगभग दो करोड़ टन धान की पराली पैदा होती है. पंजाब सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमने धान की पराली जलाने से परहेज करने वाले किसानों को नकद प्रोत्साहन राशि देने का प्रस्ताव तैयार किया है. योजना यह है कि केंद्र लागत का 50 प्रतिशत वहन करे और पंजाब और दिल्ली इसमें 25-25 प्रतिशत का योगदान देंगे. दिल्ली 25 प्रतिशत लागत वहन करेगी क्योंकि पराली की आग से निकलने वाला धुआं राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता को प्रभावित करता है. प्रस्ताव केंद्र को भेज दिया गया है. इसे मंजूरी मिलने के बाद इसे पंजाब कैबिनेट के सामने रखा जाएगा."


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सुप्रीम कोर्ट दिया था सुझाव
अधिकारी ने कहा कि केंद्र के न मानने पर भी पंजाब और दिल्ली सरकारें इस योजना को लागू करेंगी. गौरतलब है कि केंद्र प्रायोजित योजना के तहत किसानों को पराली के यथास्थान प्रबंधन के लिए रियायती दर पर कृषि मशीनरी प्रदान की जाती है. एक अन्य अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि किसानों का कहना है कि नकद प्रोत्साहन राशि से उन्हें मशीनरी के संचालन में इस्तेमाल होने वाले ईंधन की लागत को पूरा करने में मदद मिल सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए उन्हें प्रति एकड़ 2,500 रुपये देने का प्रस्ताव करती है. यह पहली बार नहीं है जब पंजाब किसानों को पराली न जलाने पर नकद प्रोत्साहन राशि देगा. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के बाद पंजाब और हरियाणा की सरकारों ने 2019 में छोटे और सीमांत किसानों के लिए 2,500 रुपये प्रति एकड़ के बोनस की घोषणा की थी.


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