Punjab News: केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक खेलों को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपए का बजट देती है. इसका एक ही उद्देश्य होता है कि खेलों और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित और अच्छी सुविधाएं दी जाए. लेकिन, जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल ही अलग नजर आ रही है. ताजा मामला पंजाब के संगरूर के रहने वाले नेशनल बॉक्सिंग चैंपियन बॉक्सर मनोज कुमार का है. खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के दावों और वादों के बीच बॉक्सिंग गोल्ड मेडलिस्ट मनोज कुमार दो जून की रोटी के लिए झाड़ू लगाने को मजबूर हैं.
बॉक्सिंग में पंजाब का नाम देशभर में रोशन करने के बाद भी बदहाली की जिंदगी जी रहे बॉक्सिंग गोल्ड मेडलिस्ट मनोज कुमार अपनी बदहाली की दास्तान सुनाते हुए भावुक हो गए. झाड़ू लगा रहे बॉक्सिंग गोल्ड मेडलिस्ट मनोज कुमार ने कहा कि मैं यह झाड़ू से मिट्टी नहीं, बल्कि अपना करियर साफ कर रहा हूं. इसके बाद उन्होंने कहा कि पूरी जिंदगी बॉक्सिंग में मैंने बर्बाद कर दी. बॉक्सिंग करियर के दौरान जीते गए मेडल को दिखाते हुए उन्होंने कहा कि मेरी जिंदगी की तरह ही मेरे मेडल भी उलझे हुए हैं.
गुस्से में खुद के चेहरे पर ही मार दिया पंच
बॉक्सिंग के लिए अपनी पूरी जिंदगी दांव पर लगा देने वाले मनोज कुमार सरकार की उपेक्षा से इस कदर हताश हो चुके हैं कि उन्होंने एक बार खुद के चेहरे पर ही पंच जड़ दिया. उसका निशान उनके चेहरे पर अब भी बाकी है. बॉक्सिंग को अपने जिंदगी का सर्वश्रेष्ठ देने के बाद भी बदहाली में जीने को मजबूर मनोज कुमार ने ग्राउंड के पिंजरे को गुस्से में हिलाते हुए कहा कि ऑक्सिंग ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी.
सीएम भगवंत मान से लगाई मदद की गुहार
बॉक्सिंग में नाम कमाने के बाद भी नेशनल बॉक्सिंग चैंपियन मनोज ने कहा कि घर का गुजारा करने के लिए मजदूरी और झाड़ू लगाना पड़ रहा है. दरअसल, 30 वर्षीय बॉक्सर मनोज कुमार इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. लिहाजा, इस हालात से उबारने के लिए उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से मदद की गुहार लगाई है.
अनिल जैन की रिपोर्ट
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