Golden Temple On Bandi Chhor Divas: पंजाब में बंदी छोड़ दिवस और दिवाली बहुत ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस बीच स्वर्ण मंदिर परिसर को बंदी छोड़ दिवस और दिवाली के अवसर पर रौशन किया गया है. रविवार (12 नवंबर) को पंजाब के सबसे खूबसूरत मंदिर स्वर्ण मंदिर को रौशनी से सजाया गया है. यहां सिखों का सबसे पवित्र तीर्थस्थल हरमंदर साहिब स्थित है. पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर में सुबह से ही उत्सव का माहौल है. हजारों लोग वहां प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं.


मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने 1619 में छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद और उनके साथ 52 अन्य राजकुमारों की जेल से रिहाई के उपलक्ष्य में ऐतिहासिक बंदी छोड़ दिवस पर लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं. दिवाली उत्सव के दौरान गुरु और राजकुमार अमृतसर पहुंचे. तब से, बंदी छोड़ दिवस और दिवाली समारोह स्वर्ण मंदिर परिसर में एक साथ मनाए जाते हैं. पंजाब में अन्य जगहों पर गुरुद्वारों और बाजारों में उत्सव जैसा माहौल रहा. लुधियाना, जालंधर, पटियाला, अमृतसर और अन्य शहरों के विभिन्न बाजारों में सैकड़ों लोग उमड़ पड़े.


क्यों मनाया जाता है बंदी छोड़ दिवस? 


दिवाली का उत्साह चंडीगढ़ और हरियाणा के कस्बों और शहरों में भी देखा जा सकता है. पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने एक संदेश में कहा कि विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के लोगों के तरफ से मनाया जाने वाला यह त्योहार देश के लोगों के बीच एकता, सद्भावना और भाईचारे की भावना को मजबूत करता है. उन्होंने कहा, "यह त्योहार हमें मानवता की सेवा के लिए काम करने के लिए प्रेरित करता है. 


दरअसल,सिखों का महत्वपूर्ण पर्व बंदी छोड़ दिवस है. हर साल दिवाली के दिन इस त्योहार को मनाया जाता है. बंदी छोड़ दिवस का तार सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद सिंह से जुड़ा है. इसी दिन गुरु हरगोबिंद सिंह को जहांगीर ने रिहा किया था. इसलिए इस दिन को सिख समुदाय के लोग दिवाली की तरह ही बंदी छोड़ दिवस मनाते हैं और अपने घरों और गुरुद्वारों को रोशनी से जगमगाते हैं. 


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